मराठा आरक्षण के लिए मुंबई रवाना होने से पहले मनोज जरांगे पाटिल ने मीडिया से बातचीत की|इस बार देखा गया कि वह भावुक भी हुए और हमलावर भी| यदि जान चली भी जाए तो भी पीछे नहीं हटेंगे।मराठा समाज ने सरकार को सात महीने का समय दिया है|मनोज जरांगे पाटिल ने कहा है कि हमारे पास मुंबई जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि हमें आरक्षण नहीं मिला है|मनोज जरांगे पाटिल ने कहा है कि हम सात दिन में मुंबई पहुंचेंगे|
मराठों की एकता को मत तोड़ो: उपवास के कारण मेरा शरीर मेरा साथ नहीं दे रहा है। लेकिन मैं रहूं या न रहूं, मराठों की एकता मत तोड़ो| मनोज जरांगे पाटिल ने भी कहा है कि वह आरक्षण लेना चाहते हैं, जब हमारा आंदोलन मुंबई पहुंचेगा तो करोड़ों मराठा मुंबई में दिखेंगे|हम राज्य भर में अपने तालुकाओं और जिलों में लड़ेंगे। मनोज जरांगे पाटिल ने भी कहा है कि यह आर-पार की लड़ाई है| मैं मराठा भाइयों से अनुरोध करता हूं कि वे घर पर न रहें|सरकार से कोई चर्चा नहीं हुई है|
सरकार जानती है कि हम क्या कह रहे हैं|कितने दिनों तक होगी चर्चा? मनोज जरांगे पाटिल ने यह भी कहा है कि सरकार मराठों पर हमला करेगी और हम आज से भूख हड़ताल पर मुंबई जाएंगे|मैं इस बारे में अपने समुदाय से बात करने जा रहा हूं और फैसला लूंगा।’ हमने सात महीने सिर्फ इसलिए दिए हैं क्योंकि हमने सामंजय की भूमिका निभाई है|
सरकार को नींद कैसे आएगी?: आरक्षण को लेकर मराठा समुदाय का आंदोलन कई सालों से चल रहा है| इस आंदोलन में सैकड़ों मराठा शहीद हुए हैं| कई मां-बहनों का नामोनिशान मिट गया। कई घरों में कमाने वाला चला गया। लेकिन तब सरकार ने आरक्षण नहीं दिया|जब उसके बच्चे मर रहे हों तो सरकार कैसे सो सकती है? क्या सरकार इतनी बेकार हो सकती है? सरकार निर्दयी है,सख्त है| मराठा समुदाय के बारे में ये सब सोचकर मुझे रात को नींद नहीं आती|
सरकार इतनी बेकार कैसे हो सकती है?: 54 लाख प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं। यह लड़ाई 45 साल से चल रही है| सरकार इतनी बेरहमी से कैसे काम कर सकती है? जिस सरकार को मराठों ने स्थापित किया था| वह आज रिकार्ड उपलब्ध होने पर भी आरक्षण नहीं दे सकती? जब गरीबों के बच्चे मर रहे हैं तो उन्हें हक का आरक्षण क्यों नहीं देते? यह अन्याय की पराकाष्ठा है| हमारी आंखों के सामने आत्महत्या हो रही हैं तो भी सरकार को नींद कैसे आ सकती है? मुंबई में चाहे कुछ भी हो जाए, हम पीछे नहीं हटेंगे|
पैठण के एक मराठा भाई के बेटे का तीन महीने पहले निधन हो गया। फिर भी उन्होंने आकर मुझसे कहा कि भले ही मेरा बेटा चला गया हो, लेकिन जब तक हमें मराठा आरक्षण नहीं मिल जाता, हम शांत नहीं बैठेंगे| क्या सरकार इतनी बेकार हो सकती है? लड़कों के बलिदान के बावजूद अधिकारों का आरक्षण नहीं देते? यह कहते हुए मनोज जरांगे पाटिल ने सरकार की कड़ी आलोचना की है|
अब अगर मैं शहीद भी हो जाऊं तो पीछे नहीं हटूंगा|चाहे मेरे सीने पर गोलियां लगें, मैं पीछे नहीं हटूंगा| मराठों के लिए एक बड़ा कदम उठाया जाने वाला है|मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि अगर मौत भी सरकार के दरवाजे पर आ जाए तो पीछे नहीं हटेंगे|जरांगे पाटिल ने यह भी कहा है कि वह आरक्षण के बिना नहीं रहेंगे|
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