मुंबई में गड्ढों की एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है| कई नागरिक गड्ढों में गिरकर अपनी जान गंवा चुके हैं। इस संबंध में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है| इस याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई महानगर निगम को फटकार लगाई है|क्या मुंबई में सड़कें बंद कर देनी चाहिए क्योंकि मुंबई नगर निगम के कर्मचारी चुनाव ड्यूटी और मराठा आरक्षण में सर्वेक्षण में व्यस्त हैं? यह सवाल हाईकोर्ट ने पूछा है|
मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र उपाध्याय व न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई| इस समय, मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने शहर में गड्ढों के कारण होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि के संबंध में एक हलफनामा दायर करने के लिए समय की मांग की। उस वक्त बॉम्बे हाई कोर्ट ने नगर पालिका को फटकार लगाई थी|
वास्तव में मामला क्या है?: अधिवक्ता रूजू ठक्कर ने एक याचिका के माध्यम से, मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में सभी सड़कों पर गड्ढों की मरम्मत का निर्देश देने वाले 2018 उच्च न्यायालय के आदेशों को लागू करने में विफल रहने के लिए नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की।इस मामले में आखिरी सुनवाई दिसंबर महीने में हुई थी| पिछली सुनवाई में कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और सभी नगर पालिकाओं को याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था|
मंगलवार को मुंबई नगर पालिका की ओर से पेश वकीलों ने हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय मांगा। वकील ने पीठ को बताया कि कानूनी विभाग सहित अधिकांश नगर निगम कर्मचारी या तो चुनाव ड्यूटी पर हैं या मराठा आरक्षण के लिए घर-घर सर्वेक्षण कर रहे हैं।इस पर मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र उपाध्याय ने कहा, ”क्या यही कारण है? कोई चुनाव ड्यूटी पर है तो कोई मराठा आरक्षण के लिए सर्वे कर रहा है| तो क्या मुंबई की सड़कें बंद कर देनी चाहिए?
क्या चल रहा है?” कोर्ट ने मुंबई नगर पालिका को 15 फरवरी तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है| पीठ ने यह भी कहा कि नगर पालिका शहर में कंक्रीटीकरण का काम पूरा करने की योजना बना रही है, उस तारीख का भी हलफनामे में उल्लेख किया जाना चाहिए।
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