उत्तराखंड के हल्द्वानी में गुरुवार को हुए दंगा के बाद पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। इसी कड़ी में पुलिस ने रविवार को पांच लोगों को गिरफ्तार किया। इसमें सपा नेता अब्दुल मतीन सिद्दीकी के भाई जावेद सिद्दीकी का भाई भी शामिल है। पुलिस गिरफ्तार लोगों से पूछताछ कर रही है और अन्य आरोपियों को चिन्हित कर रही है।
बताया जा रहा है कि, पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्यों के आधार पर पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें 2 पूर्व पार्षद और 2 सामाजवादी पार्टी से जुड़े नेता का नाम सामने आ रहा है। गिरफ्तार किये गए लोगों में महबूब आलम, लाइन नंबर -16 बनभूलपुरा, जिशान वार्ड नंबर 21 इंद्रानगर लाइन नंबर-14 बनभूलपुरा, अरशद लाइन नंबर- 12 बनभूलपुरा, जावेद सिद्दीकी लाइन नंबर 17 बनभूलपुरा शामिल हैं।
कहा जा रहा है कि बनभूलपुरा के बाहरी इलाकों में रेलवे लाइन के आसपास झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोग भी इस उपद्रव में देखे गए थे। पुलिस अब इस मामले को नए सिरे से जांच कर रही है। बताया जा रहा कि पुलिस हल्द्वानी हिंसा में रोहिंग्या मुस्लिमों और रोहिंग्या मुस्लिमों की अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी लोगों की जांच की जा रही है।
कई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हल्द्वानी हिंसा में शामिल कुछ लोग हल्द्वानी छोकर दूसरे राज्यों ,में चले गए हैं। बताया जा रहा है कि हिंसा के बाद अँधेरे का फ़ायदा उठाते हुए उपद्रवियों ने हल्द्वानी को उसी दिन छोड़ दिया था और उत्तराखंड से लड़े अन्य राज्यों की सीमा में चले गए। इन उपद्रवियों की तलाश में उत्तराखंड पुलिस लगातार सर्च आपरेशन चला रही है। खबरों के अनुसार हिंसा को देखते हुए राज्य सरकार ने केंद्रीय बलों की मांग की है। गृह मंत्रालय ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100-100 जवानों की चार कंपनियां मांग की है। हल्द्वानी शहर में 1000 पुलिस बल तैनात किये गए हैं।
हल्द्वानी हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता अब्दुल गिरफ्तार: उत्तराखंड के हल्द्वानी में हुई हिंसा के बाद पुलिस लगातार मुख्य साजिशकर्ताओं की तलाश में जुटी हुई थी। पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता अब्दुल मलिक को गिरफ्तार कर लिया है। अब्दुल ही बगीचा का अवैध कब्जा कर उस पर मदरसा निर्माण करने का आरोप है। अवैध जमीन पर मदरसा के तोड़ने का सबसे ज्यादा विरोध अब्दुल मलिक ने किया था। मलिक को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है। अभी तक इस मामले में 50 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उत्तराखंड सरकार का दावा है कि यह हिंसा सुनियोजित है। रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट के आदेश पर अवैध मदरसा हटाने से पहले ही लोकल खुफिया एजेंसियों हिंसा होने की आशंका जताई थी।लेकिन इसे इग्नोर कर दिया गया था।
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