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क्या है किरु हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट? इस केस में क्यों हुई पूर्व राज्यपाल के यहां रेड          

इस परियोजना को पर्यावरण विभाग से जून 2016 में ही मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद जनवरी 2019 में राज्य प्रशासनिक परिषद की ओर मंजूरी दी गई थी।

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जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक से जुड़े 30 ठिकानों पर सीबीआई ने गुरूवार को छापेमारी की। छापेमारी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बिहार और मुंबई में की गई। यह कार्रवाई जम्मू कश्मीर में किरु हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना को लेकर की गई है। जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। ऐसे में जानते हैं कि किरु हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना क्या है? इस मामले में सत्य मलिक का नाम कैसे जुड़ा ?

दरअसल, किरु हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना जम्मू कश्मीर के दोहा जिले की किश्तवाड़ तहसील में चिनाब नदी विकसित की जा रही है। इस पवार प्रोजेक्ट को चिनाब वैली पवार प्रोजेक्ट्स बना रही है। इस परियोजना को पर्यावरण विभाग से जून 2016 में ही मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद जनवरी 2019 में राज्य प्रशासनिक परिषद की ओर मंजूरी दी गई थी। जबकि इस परियोजना की आधारशिला 2019 में ही रखी गई और इसे 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से राज्य के दूर दराज के इलाकों में बिजली की पहुंच आसान हो जाएगी। अब सवाल यह है कि इस मामले में जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्य मलिक की एंट्री कैसे हुई।

गौरतलब है कि, इस परियोजना को लेकर मलिक ने भ्रष्टाचार का मामला उठाया था। उन्होंने दावा किया था कि दो फाइलों की मंजूरी के लिए 300 करोड़ रुपये रिश्वत देने का ऑफर दिया गया था। लेकिन उन्होंने इसे इंकार कर दिया था। इसके बाद इस मामले में सीबीआई की एंट्री हुई। केंद्रीय जांच एजेंसी ने केस दर्ज कर 2022 में 16 स्थानों पर छापेमारी की थी। फिर मई 2023 में 12 स्थानों पर तलाशी ली गई थी।

इस परियोजना के निर्माण के लिए लगभग 2200 करोड़ रुपये का ठेका एक निजी कम्पनी को दिया गया था। यह ठेका 2019 में दिया गया था। इस परियोजना में आरोप है कि सिविल कार्यों के आवंटन, ई टेंडरिंग से जुड़े नियमों का पालन नहीं किया गया। जांच एजेंसी ने  चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष नवीन कुमार चौधरी और अन्य पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

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