सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, चुनाव आयोग ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर चुनाव बांड के सभी विवरण जारी किए। इस विवरण में किस कंपनी ने भारतीय स्टेट बैंक से कितने चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं, किस पार्टी को कितनी चुनावी बांड की राशि प्राप्त हुई है, किस पार्टी ने कितने करोड़ का चुनावी बांड भुनाया है, इसकी जानकारी भी उपलब्ध करायी गयी है| इसमें देशभर की कई प्रतिष्ठित कंपनियां, पेशेवर या व्यक्तिगत खरीदार भी शामिल हैं। इस बीच किस व्यक्ति या दानकर्ता ने किस पार्टी को चंदा दिया है इसकी जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाई है| सुप्रीम कोर्ट ने इस जानकारी का खुलासा करने को भी कहा है|
निर्मला सीतारमण ने वास्तव में क्या कहा?: निर्मला सीतारमण से चुनावी बांड खरीदने वाली कंपनियों और उन कंपनियों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो की गतिविधियों के बीच संबंध के बारे में सवाल किया गया था। इस पर निर्मला सीतारमण ने कहा, जांच एजेंसियों की छापेमारी और चुनावी बांड के बीच संबंध केवल कुछ लोगों का विचार है। यह तथ्य कि ईडी की छापेमारी के बाद कंपनियों ने भुगतान किया, कुछ लोग केवल अनुमान लगा सकते हैं, लेकिन मैं आपको एक और संभावना बता दूं। ऐसा भी हो सकता था कि अगर ये कंपनियां चुनावी बांड के जरिए पार्टियों को पैसा देतीं तो भी केंद्र सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करती|
वित्त मंत्री ने कहा, कुछ लोग सोचते हैं कि ईडी ने जाकर उन कंपनियों का दरवाजा खटखटाया और उस वक्त वो कंपनियां खुद को बचाने के लिए संघर्ष कर रही थीं| इसलिए ईडी ने उनसे पैसे ले लिये| लेकिन, एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या किसी को यकीन है कि वह पैसा भाजपा को दिया गया है? हो सकता है कि उन कंपनियों ने अन्य पार्टियों को भुगतान किया हो।
इस बीच चुनाव आयोग की ओर से चुनावी बॉन्ड को लेकर जारी की गई जानकारी पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं| साथ ही इस पर तरह-तरह के दावे-प्रतिदावे, आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए जा रहे हैं|देश में सत्ताधारी पार्टी को चुनावी बांड के जरिए सबसे ज्यादा पैसा मिला है|चुनावी बांड के बारे में सौंपी गई जानकारी के मुताबिक, कुल चुनावी बांड में से 46 फीसदी से ज्यादा भाजपा ने भुनाए हैं|
चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को सबसे ज्यादा चंदा देने वाली शीर्ष 30 कंपनियों में से आधी कंपनियां हाल के दिनों में केंद्रीय जांच एजेंसियों के रडार पर हैं। इन कंपनियों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), आयकर विभाग (आईटी) समेत अन्य ने छापेमारी की थी। इसलिए केंद्र सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसियों का डर दिखाकर इन कंपनियों से चुनावी बांड के जरिए पैसे वसूले हैं| इन आरोपों पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रतिक्रिया दी है| वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ये सिर्फ विपक्ष के दिमाग में चल रहे विचार हैं|
प्रवर्तन निदेशालय ने इनमें से कुछ कंपनियों की संपत्ति भी जब्त कर ली है| चुनावी बांड के जरिए चंदा देने वाली 14 कंपनियां केंद्रीय या राज्य जांच एजेंसियों के दायरे में आ गई हैं। इनमें फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज, मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, हल्दिया एनर्जी लिमिटेड, वेदांता लिमिटेड, यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड, चेन्नई ग्रीनवुड्स प्राइवेट लिमिटेड, डॉ. शामिल हैं। कंपनियों में रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड, आईएफबी एग्रो लिमिटेड, एनसीसी लिमिटेड, डिवि एस लेबोरेटरी लिमिटेड, यूनाइटेड फॉस्फोरस इंडिया लिमिटेड, अरबिंदो फार्मा शामिल हैं।
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