सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि चुनावी बांड असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक बताए जाने से तीन दिन पहले केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 10,000 करोड़ रुपये के चुनावी बांड की छपाई को मंजूरी दी थी। सरकारी प्रिंटिंग कंपनी एसपीएमसीआईएल को एक-एक करोड़ रुपये के बांड छापने का आदेश दिया गया था।
सूत्रों के अनुसार सूचना के अधिकार के तहत यह जानकारी मिली है| इसका खुलासा वित्त मंत्रालय और एसबीआई के बीच हुए पत्राचार, ईमेल रिकॉर्ड से हुआ है। रिकॉर्ड से यह भी पता चला कि एसपीएमसीआईएल ने पहले ही 8,350 बांड मुद्रित किए थे और उन्हें भारतीय स्टेट बैंक को भेज दिया था। 28 फरवरी को, सुप्रीम कोर्ट द्वारा योजना को बंद करने के आदेश के 15 दिन बाद, वित्त मंत्रालय ने भारतीय स्टेट बैंक को चुनावी बांड की छपाई बंद करने का आदेश दिया।
चुनाव बांड योजना की शुरुआत के बाद से कुल 22,217 चुनावी बांड भुनाए गए। इसमें से 8,451 करोड़ भाजपा को, 1,950 करोड़ कांग्रेस को, 1,707.81 करोड़ तृणमूल कांग्रेस को और 1,407.30 करोड़ बीआरएस को मिले। नए चुनावी बांड की छपाई रोकने का आदेश देते हुए एसबीआई बैंक द्वारा एसपीएमसीआईएल को एक ईमेल भेजा गया था। जिसका विषय था, “चुनावी बांड की छपाई बंद करें | इसका खुलासा सूचना के अधिकार से किया गया।
बैन हो गया, अब कोई नया रास्ता खोजें!: एसबीआई बैंक के ट्रांजैक्शन बैंकिंग डिवीजन के सहायक महाप्रबंधक ने एसपीएमसीआईएल को भेजे गए एक ईमेल में लिखा है कि, दिनांक 23 फरवरी 2024 को 8,350 चुनावी बांड के चार बक्सों की प्राप्ति स्वीकार कर ली है। लेकिन माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के बाद हम आपसे शेष 1,650 चुनावी बांड की छपाई रोकने का अनुरोध करते हैं।
भाजपा के पास हैं सबसे ज्यादा बॉन्ड!: 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 के बीच एसबीआई ने 22 हजार 217 चुनावी बॉन्ड बेचे। इनमें से सबसे ज्यादा यानी 8 हजार 451 चुनावी बॉन्ड (46.74%) अकेले भाजपा को दिए गए हैं| साथ ही पिछले पांच साल में कुल 12 हजार 769 करोड़ के चुनावी बांड भुनाए गए हैं| इसमें से आधे से ज्यादा यानी 6 हजार 060 करोड़ के बॉन्ड अकेले भारतीय जनता पार्टी ने छुड़ाए हैं|
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