लोकसभा चुनाव का पांच चरण संपन्न हो गया है| छठें चरण का प्रचार-प्रसार भी थम गया है| 25 मई को छठे चरण का मतदान होने जा रहा है| बता दें कि उत्तर प्रदेश के सात चरणों में अब सिर्फ दो चरण ही बचे हुए है| 25 मई को कई राज्यों के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश के कई महत्वपूर्ण चेहरों का भी किस्मत दांव पर लगा हुआ है| कई सीटों पर सारे समीकरणों के केंद्र में जातिय महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने के लिए पूरा दमखम लगाती दिखाई दे रही है। वही, ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रत्याशियों को मुस्लिम और यादव जातीय के वोटों से उम्मीद लगायी हुई है।
आपको बता दें 6ठें चरण के चुनाव में बस्ती और अयोध्या भारतीय जनता पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है| बस्ती जहां गुरु वशिष्ठ की धरती है और अयोध्या भगवन श्रीराम की जन्मभूमि है| भगवान राम और गुरु वशिष्ठ के पास रहने के बाद उनसे दीक्षा ली थी, यानि बस्ती और अयोध्या क्षेत्रों का एक-दूसरे से अटूट रिश्ता सदियों पुराना है, लेकिन इन दोनों नगरी की सियासत में बहुत ज्यादा फर्क है। अयोध्या में वोटों के ध्रुवीकरण से नतीजे बदल जाते हैं, जबकि बस्ती में जातीय समीकरण का खाका बुनने वाला ही जीत हासिल करता है।
गौरतलब है इन संसदीय क्षेत्रों के राजनीतिक दलों द्वारा स्थानीय मुद्दों की बात नहीं करते है और नहीं मतदाता की | यहां सिर्फ सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरण साधने में जुटे हैं। ब्राह्मण और कुर्मी बिरादरी की बहुलता वाली इस सीट पर सियासत का परिदृश्य इस बार कुछ अलग है। भाजपा के प्रत्याशी सांसद हरीश द्विवेदी जीत की हैट्रिक लगाने की जुगत में हैं, तो उनके सामने पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी गठबंधन में सपा से चुनाव लड़ रहे हैं। पिछला चुनाव उन्होंने बसपा से लड़ा था। भाजपा का फोकस सवर्ण मतदाताओं के अलावा पिछड़े वर्ग पर है।
बता दें कि भाजपा ने सपा से प्रत्याशी रहे पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह को अपने दल में शामिल कराकर क्षत्रिय मतदाताओं को साधने के लिए मास्टर स्ट्रोक चला है। यहां क्षत्रिय मतदाता भी सवा लाख के आसपास हैं। उधर, बसपा से लवकुश पटेल के आने से भी गठबंधन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। ऐसे में इस बार यहां निर्णायक ब्राह्मण, क्षत्रिय और कुर्मी वोटर होंगे। बस्ती सदर विधानसभा क्षेत्र के रमवापुर गांव के हरकेश गौतम कहते हैं, इस बार जातिगत तौर पर खेमेबंदी बहुत तेज है।
बस्ती लोकसभा क्षेत्र से अब तक सपा को जीत नसीब नहीं हुई है। यहां कांग्रेस सात बार तो भाजपा छह बार चुनाव जीत चुकी है। दो बार बसपा को भी जनता ने मौका दिया है। 2014 में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री राजकिशोर सिंह ने अपने भाई बृजकिशोर सिंह को सपा से चुनाव लड़ाया। वह करीब 33,462 मतों से हार गए। 2022 के विधानसभा चुनाव में बस्ती की पांच सीटों में से सपा ने तीन जीती थीं। एक सीट उसके साथ गठबंधन में रही सुभासपा के खाते में गई थी, लेकिन अब सुभासपा सपा से अलग हो चुकी है। उस प्रदर्शन से सपा को लोकसभा में भी उम्मीद जगी है।
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