हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी बहुमत से दूर रह गई। इस पार्टी को अपने सहयोगियों के साथ मिलकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनानी है| इस बीच भाजपा की मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने मुखपत्र के जरिए इस चुनाव का विश्लेषण किया है| संघ के सदस्य रतन शारदा ने साप्ताहिक ऑर्गेनाइजर में एक लेख प्रकाशित किया है जो भाजपा की आंखों में खटकने वाला है|
इस लेख में शारदा ने भाजपा की विफलता पर चर्चा करते हुए महाराष्ट्र का उदाहरण दिया है| उन्होंने कहा है कि भाजपा महाराष्ट्र में कुछ चीजों से बच सकती थी| उदाहरण के तौर पर भाजपा और शिवसेना के शिंदे गुट के पास बहुमत होने के बावजूद वे एनसीपी के अजित पवार गुट के साथ हो गए| इससे उन भाजपा समर्थकों को झटका लगा जो कई वर्षों से कांग्रेस की विचारधारा के खिलाफ लड़ रहे हैं। इस बीच संघ और भाजपा नेताओं के बीच हुई बैठक में कुछ नेताओं ने अजित पवार की वजह से भाजपा को हो रहे नुकसान के सुर बदल दिए|
संघ की इस आलोचना पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने संघ और भाजपा के बीच बैठक में हुई चर्चा पर प्रतिक्रिया दी है| एनसीपी की महाराष्ट्र प्रदेश प्रवक्ता रूपाली थोंबरे ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है| रूपाली थोम्ब्रे ने कहा है कि भाजपा से लोगों की नाराजगी का असर अजित पवार पर पड़ा होगा| थोम्बरे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की बैठक में अजित पवार को लेकर हुई चर्चा पर प्रतिक्रिया दी है|
रूपाली थोम्बरे ने कहा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक में जो भी चर्चा हुई, वह उनका आंतरिक मामला है। लेकिन, अजित पवार को लेने से उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ है| इसके उलट यह कहना सही होगा कि नागरिकों में भाजपा के खिलाफ जो भी नाराजगी थी, उसका असर अजित पवार पर जरूर पड़ा होगा| वैसे भी वह चर्चा या वह बैठक सब आरएसएस का आंतरिक मामला है। मैं उस चर्चा के बारे में बात नहीं करना चाहता| उन्हें किस पर चर्चा करनी चाहिए या नहीं, यह उनका आंतरिक प्रश्न है। हालांकि, अजित पवार की वजह से भाजपा को नुकसान होने को लेकर महागठबंधन में किसी ने कोई चर्चा नहीं की है, किसी ने किसी से बात नहीं की है|
इस बीच रूपाली थोम्बरे इस पार्टी (अजित पवार के गुट) से नाराज हैं और ऐसी चर्चा है कि वह जल्द ही शिवसेना के ठाकरे गुट में शामिल होंगी| थोम्बारे ने इन सभी अफवाहों का खंडन किया| ठाकरे समूह की उपनेता सुषमा अंधारे ने उनसे ठाकरे समूह में शामिल होने की अपील की| लेकिन थोम्बारे ने स्पष्ट किया कि वह पार्टी छोड़कर कहीं नहीं जायेंगे|
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