वैज्ञानिकों के अनुसार प्रकृति दोहन और विकास की अंधी दौड़ में विकसित और विकासील देशों ने तेजी से जंगलों और प्राकृतिक व्यवस्था के साथ जबर्दस्त छेड़छाड़ किया| नतीजन पर्यावरण असंतुलन के कारण अब जलवायु परिवर्तन का सामना करना पड़ा रहा है| यही कारण एशिया महाद्वीप में बड़ी संख्या में लोग भीषण गर्मी से जूझते दिखाई दे रहे है|
बता दें कि ग्लोबल वार्मिंग के ही कारण उत्तर भारत भीषण तपिश की चपेट में है| जमीन, आसमान और हवाओं में गर्मी का तांडव देखा जा सकता है, जिसके यहाँ का तापमान लगभग 50 डिग्री सेल्सियस तक चला गया है| अब तक की यह रिकार्ड तोड़ गर्मी बताई जा रही है| मानव सभ्यता के विकास व उसकी गतिविधियों के कारण जलवायु पर खासा प्रभाव पड़ रहा है| जलवायु परिवर्तन के कारण ही कहीं गर्मी तो कहीं बारिश का कहर देखा जा रहा है| दूसरी ओर भारत के कई भागों में भीषण गर्मी का तांडव मचा हुआ है|
बता दें कि तापमान ने तो सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। अब तक 50 डिग्री सेल्सियस के पार जा चुका है। इस बीच अधिकारियों ने बताया कि इस बार गर्मी के मौसम में अब तक 40 हजार से अधिक लू के मामले सामने आ चुके हैं। वहीं प्रचंड गर्मी ने पूरे देश में सौ से अधिक लोगों की मौतें हो चुकी है।
उत्तर भारत में गर्मी का कहर इस तरह का है कि पक्षी भी आसमान में उड़ने की बजाय धरती पर आकर गिर रहे हैं। अस्पतालों में भीषण गर्मी से प्रभावित रोगियों की संख्या बढ़ रही है। लोग जरूरी काम के लिए भी दोपहर में घर से बाहर नहीं जा पा रहे हैं। इन सबकी वजह यह भी है कि इस बार मार्च में गर्मी की शुरुआत के बाद से हाल के हफ्तों में दिन और रात दोनों का तापमान चरम पर था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि एक मार्च से 18 जून के बीच हीट स्ट्रोक के 40,000 से अधिक संदिग्ध मामले सामने आए और कम से कम 110 लोगों की मौत की पुष्टि हुई। इस दौरान उत्तर-पश्चिम और पूर्वी भारत में सामान्य से दोगुनी संख्या में गर्म हवाएं चलीं।
मौसम विभाग ने इस महीने के लिए भी सामान्य तापमान से अधिक रहने का अनुमान जताया है, क्योंकि अधिकारियों का कहना है कि असंतुलित वृद्धि के कारण भारतीय शहर उबलता पानी बन गए हैं। सबसे ज्यादा परेशानी देश की राजधानी दिल्ली में दर्ज की जा रही है। यहां लोगों को न तो पीने के लिए पर्याप्त पानी और न ही बिजली मिल रही हैं।
भीषण गर्मी को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने संघीय और राज्य संस्थानों को मरीजों का तुरंत इलाज करने का आदेश दिया है। जबकि दिल्ली के अस्पतालों को निर्देश दिया गया था कि वे अधिक बिस्तर उपलब्ध कराएं।
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