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Sunday, November 24, 2024
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चुनावी की गहमागहमी के बीच ‘सनातन धर्म’ किताब की ब्रिटेन में चर्चा!; प्रत्याशियों में हिंदू धर्म को लेकर उत्सुकता!

ब्रिटेन में हिंदुत्व को लेकर वहां के स्थानीय उम्मीदवारों में जिज्ञासा देखी जा सकती है| इस प्रचार अभियान के दौरान कई उम्मीदवार मंदिरों के दर्शन कर रहे हैं|इस बीच विवान की किताब की चारो तरफ खूब चर्चा हो रही है|

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ब्रिटेन में इस समय चुनावी पारा चढ़ा हुआ है। चुनाव प्रचार के दौरान मशहूर उद्योगपति और कारूलकर प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रशांत कारुलकर और उपाध्यक्ष शीतल कारूलकर के बेटे विवान कारूलकर की 16 साल की उम्र में लिखी किताब “सनातन धर्म: सभी विज्ञानों के स्रोत” को भी यहां खूब सराहा जा रहा है| चुनावी हलचल में भारतीयों को आकर्षित करने के लिए सभी उम्मीदवार हिंदू धर्म में रुचि दिखा रहे हैं।ब्रिटेन में हिंदुत्व को लेकर वहां के स्थानीय उम्मीदवारों में जिज्ञासा देखी जा सकती है| इस प्रचार अभियान के दौरान कई उम्मीदवार मंदिरों के दर्शन कर रहे हैं|इस बीच विवान की किताब की चारो तरफ खूब चर्चा हो रही है|

ब्रिटेन के वर्तमान प्रधान मंत्री ऋषि सुनक ने हिंदू होने पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि वह भगवद गीता में विश्वास करते हैं और यह भी बताया कि उन्हें गीता से ही प्रेरणा मिलती है।इसलिए वहां विभिन्न पार्टियों द्वारा हिंदुओं को आकर्षित करने की कोशिश की जा रही हैं|चुनाव प्रचार कर रहे विभिन्न दलों के उम्मीदवारों ने इस किताब की सराहना की है और इतनी कम उम्र में यह किताब लिखने के लिए विवान को तारीफें मिल रही हैं|

लेबर पार्टी के उम्मीदवार केयर स्ट्रूमर को लंदन के वरिष्ठ पत्रकार हरिदत्त जोशी ने किताब भेंट की। स्ट्रूमर ने भी पुस्तक की प्रशंसा की और विवान के प्रयासों की सराहना की। स्ट्रमर कई वर्षों से ब्रिटिश राजनीति में सक्रिय हैं। वह पेशे से बैरिस्टर हैं। उन्होंने 2020 से लेबर पार्टी के नेता और विपक्ष के नेता के रूप में भी काम किया है। वर्तमान में वह ब्रिटिश संसद के सदस्य भी हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने 16 साल की उम्र से ही लेबर पार्टी में काम करना शुरू कर दिया था|

यह पुस्तक सीधे लंदन के बकिंघम पैलेस में शाही परिवार से मंगवाई गई थी। विवान को उनके सराहनीय कार्य के लिए एक बैज और एक सिक्के से सम्मानित किया गया है। प्रशांत कारूलकर और कारूलकर प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष शीतल कारूलकर के बेटे विवान कारूलकर द्वारा लिखित पुस्तक “सनातन धर्म: सभी विज्ञानों का सच्चा स्रोत”, को जबरदस्त प्रतिक्रियाएं मिली है और विवान को कई दिग्गजों से सराहना भी मिली है।

विवान की किताब को लंदन के बकिंघम पैलेस में शाही परिवार से भी खूब सराहना मिली है। उन्हें एक बैज और एक सिक्का प्रदान किया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि ये सिक्के बेहद दुर्लभ हैं। इन सिक्कों पर रानी का मुकुट अंकित है, जो टावर ऑफ लंदन पर भी देखा जाता है। ऐसे केवल तीन सिक्के ढाले गए और तीसरा सिक्का विवान को भेंट कर दिया गया।

भारतीय सेना ने विवान को धार्मिक साहित्य में उनके योगदान के लिए पदक से सम्मानित किया। विवान को ये सम्मान महज 17 साल की उम्र में मिला है|यह पदक लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ द्वारा प्रदान किया गया।नासा के वैज्ञानिक मोहम्मद सईदुल अहसन और मोहम्मद सैफ आलम ने भी विवान की किताब की सराहना की| उन्हें इस पुस्तक से सम्मानित किया गया।विवान की किताब स्विट्जरलैंड भी पहुंची|स्विट्जरलैंड की संसदीय समिति के प्रमुख डॉ. निक गुग्गर ने विवान के लेखन की प्रशंसा की।

विवान ने अपनी किताब की एक प्रति देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर को भी प्रदान की|विदेश मंत्री ने भी विवान की पुस्तक की भूरि-भूरि प्रशंसा की हैं|जब विवान ने राजभवन में महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस को पुस्तक की एक प्रति भेंट की, तो राज्यपाल ने विवान के प्रयासों की सराहना की और टिप्पणी की कि यह नया भारत है।महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी विवान की किताब की तारीफ की|

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के सदस्य संजीव सान्याल ने भी इस किताब के लिए विवान की सराहना की. जैन आचार्य महाश्रमण जी ने भी किताब देखकर विवान को आशीर्वाद दिया|  भाजपा के विधायक और मुंबई प्रभारी अतुल भातखलकर, सांसद गोपाल शेट्टी, सुशील कुल्हारी, राजस्थान आयकर विभाग के प्रधान निदेशक सुधांशु शेखर झा, स्वतंत्रता वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्यकारी अध्यक्ष रंजीत सावरकर, मुंबई नगर निगम के पूर्व अतिरिक्त आयुक्त प्रवीण परदेशी, धाराशिव के कलेक्टर डॉ. सचिन ओंबासे, धाराशिव के पुलिस अधीक्षक अतुल कुलकर्णी, मा. गुरुदेव नयपद्मसागरजी, सीमा शुल्क विभाग के आयुक्त असलम हसन, केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे के निजी सचिव एस.के. जाधव ने भी विवान के प्रयास की सराहना की।

राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने भी इस पुस्तक की काफी सराहना की है| साथ ही इस पुस्तक को भगवान श्री राम के चरणों में रखकर भगवान का आशीर्वाद भी लिया गया है। चम्पतराय ने पहले पन्ने पर किताब के बारे में अपनी भावनाएं लिखी और विवान के प्रयासों की सराहना की।

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