मुंबई में 26 /11 के हमलें से पहले रेकी करने वाले डेविड हेडली के साथ मिलकर मुंबई की ब्लू प्रिंट आतंकवादियों को सौंपने वाला तहव्वुर राणा फिलहाल अमेरिका के शिकागो जेल में बंद है। 14 साल की जेल की सजा काटने के बाद, तहव्वुर राणा अमेरिकी जेल से रिहा होने वाला था जब भारत ने उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया। फ़िलहाल यह पाकिस्तानी मूल का कनाडाई आतंकवादी शिकागो की कोर्ट में तत्काल प्रभाव से छूटने की कोशिश में लगा हुआ है। इसी के साथ उसे भारत में प्रत्यार्पण का भी डर सता रहा है।
दरअसल अमेरिका के अपील न्यायालय में सहायक अटॉर्नी और क्रिमिनल अपील के चीफ ब्राहम एल्डेन ने आतंकी तहव्वुर को सभी प्रकार से भारत में प्रत्यर्पित करने के काबिल होने का दावा पेश किया है। उनका कहना है की भारत और अमेरिका के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि, और तहव्वुर के जघन्य अपराध के बदौलत तहव्वुर को भारत में भेजकर उस पर मुकदमा चलवाना ही सही होगा।
दूसरी तरफ तहव्वुर राणा के डिफेन्स वकील उसको छुड़वाने और एक अपराध के लिए दो बार दंड न मिलने के युक्तिवाद को लेकर कोर्ट में बहस कर रहे है। साथ ही में उसने भारतीय जेल में उसकी जान को खतरा होने की बात को उठाया है। जिस पर उत्तर देते हुए ब्राहम एल्डेन ने कोर्ट से इस आतंकवादी हमले की गंभीरता को समझने की कोशिश की। एल्डेन का कहना है की तहव्वुर उस हमले में शामिल था, जिसमें रात के समय आतंकियों ने रेस्टॉरेंट, अस्पताल, क्लब हाऊसेस और रेलवे स्टेशन पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी। इस हमले में 166 निर्दोष लोगों की मृत्यु हुई तो 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। यह बताते हुए उन्होंने कोर्ट को बताया कैसे अमेरिका के अन्य निचले न्यायालयों ने भी तहव्वुर के प्रत्यर्पण को हरी झंडी दे दी थी।
एल्डेन ने इस अपराध की तुलना अमेरिका के ट्विन टावर पर हुए उस नृशंस हमला 9/11 से कर दी। उन्होंने कहा तहव्वुर राणा जिस अपराध में शामिल था वो भारत के लिए 9/11 हमले जैसा ही था। इसीलिए भारत को अपने अपराधी को अंजाम तक पहुंचाने का पूरा अधिकार है, साथ ही भारत और अमेरिका की प्रत्यर्पण संधि के हिसाब से यही सही होगा।
फ़िलहाल अमेरिकी कोर्ट एल्डेन के दावों पर सकारात्मक दिख रहा है। तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण से भारत और अमेरिका के रिश्तों में और मजबूती आएगी इसकी कल्पना अमेरिका को भलीभांति होगी।
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