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Bangladesh Violence: नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस ने भारत पर व्यक्त की अपनी नाराजगी!

हालिया हिंसा में अब तक करीब 100 लोगों की जान जा चुकी है| इसी पृष्ठभूमि में बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक के संस्थापक नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने एक इंटरव्यू में भारत पर अपना गुस्सा जाहिर किया है|

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महाराष्ट्र में आरक्षण के मुद्दे पर चल रही राजनीतिक और सामाजिक घुसपैठ इस समय एक गंभीर मुद्दा बन गई है। वहीं दूसरी ओर भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर भयावह स्थिति पैदा हो गई है|इस मुद्दे पर बांग्लादेशी युवा पिछले एक महीने से आक्रामक तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं|हालिया हिंसा में अब तक करीब 100 लोगों की जान जा चुकी है|इसी पृष्ठभूमि में बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक के संस्थापक नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने एक इंटरव्यू में भारत पर अपना गुस्सा जाहिर किया है|

बांग्लादेश में असल में क्या हो रहा है?: पूरा विवाद बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर शुरू हुआ। एक महीने पहले बांग्लादेश सरकार ने भी इस संबंध में आदेश पारित किया था|तदनुसार, 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियाँ 1971 के बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के रिश्तेदारों के लिए आरक्षित थीं। तब बांग्लादेश के युवा सड़कों पर उतर आए और इस फैसले का व्यापक विरोध किया| उस समय, बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया और इसमें से 3 प्रतिशत स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए रखा।

हालांकि, इस बीच सरकार के कदमों से नाराज बांग्लादेशी लोग सड़कों पर उतर आए हैं|इसमें मुख्य रूप से युवा शामिल हैं। युवाओं की सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं, संबंधित संगठनों के कार्यकर्ताओं और पुलिस से सीधी भिड़ंत होने पर हिंसा भड़क उठी।

भारत की आलोचना!: इस बीच मोहम्मद यूनुस ने इन सभी मामलों में भारत पर पलटवार किया है|बांग्लादेश के इन सभी घटनाक्रमों को लेकर भारत सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह उस देश का आंतरिक मामला है। उस पर मोहम्मद यूनुस ने अपना गुस्सा जाहिर किया है|

“मुझे सार्क के सपने पर विश्वास था। हम यूरोपीय संघ की तरह सभी सदस्य देशों के साथ परिवार जैसा रिश्ता रखना चाहते हैं।’ तो जब भारत ने कहा कि ये हमारा आंतरिक मसला है तो मुझे बहुत दुख हुआ|अगर मेरे भाई के घर में आग लग जाए तो मैं कैसे कह सकता हूं कि यह आंतरिक मामला है? यूनुस ने इस साक्षात्कार में कहा, राजनीतिक भाषा में, ‘आंतरिक मुद्दे’ से अधिक उपयुक्त शब्द हैं।

मोहम्मद यूनुस ने ये भी कहा “ये युवा अपनी सुरक्षा के लिए पड़ोसी देशों में भाग जाते हैं। हम आग से खेल रहे हैं| यह देश तक ही सीमित नहीं रहेगा| अगर यही स्थिति रही तो लोग सीमा पार चले जायेंगे|शांति के समय में प्रवासियों को बर्दाश्त किया जा सकता है, लेकिन ऐसे तनावपूर्ण माहौल में ये युवा सीमा पार बड़ी चुनौती खड़ी कर सकते हैं”|  .

भारत से क्या उम्मीद करें?: इस बीच, यूनुस ने टिप्पणी की कि भारत को इस स्थिति में क्या करना चाहिए। “भारत को बांग्लादेश में पारदर्शी चुनावों को प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके अलावा अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसकी निंदा की जानी चाहिए| भारत में नियमित अंतराल पर चुनाव होते रहते हैं। उनकी सफलता दर्शाती है कि हम कितने असफल हैं।

यह भारत की गलती है कि उसने हमें इस सफलता के लिए कूटनीतिक माध्यमों से प्रोत्साहित नहीं किया।’ यह देखकर हमें दुख होता है| हम इसके लिए भारत को माफ नहीं करेंगे” मोहम्मद यूनुस ने अपनी भावनाएं इन शब्दों में व्यक्त कीं|

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