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आसाम विधानसभा द्वारा शुक्रवार के नमाज स्थगिती को बंद करने से जेडीयु के नेता नाराज !

पुराने नियम के मुताबिक सप्ताह के शुक्रवार के दिन 11 बजे विधनसभा की स्थगिती होती थी, जिसे हटाकर सदन के काम को जारी रखा जाएगा।

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जेडीयू नेता नीरज कुमार ने आसाम विधानसभा स्पीकर द्वारा शुक्रवार की नमाज के दौरान स्थगिती को बंद करने के निर्णय को लेकर आसाम सरकार की आलोचना की है। जेडीयू नेता ने कहा है, “असम के मुख्यमंत्री द्वारा लिया गया निर्णय देश के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। प्रत्येक धार्मिक विश्वास को अपनी परंपराओं को संरक्षित करने का अधिकार है। मैं सीएम सरमा से पूछना चाहता हूं: आप रमजान के दौरान शुक्रवार की छुट्टियों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं और दावा करते हैं कि इससे कार्य कुशलता बढ़ेगी। हिंदू परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है मां कामाख्या मंदिर-क्या आप वहां बलि प्रथा पर प्रतिबंध लगा सकते हैं?”

जेडीयू नेता ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को नसीहत देते हुए कहा है, “धार्मिक आस्था पर हमला करने का अधिकार किसी को नहीं है. बेहतर होता कि आप अपना ध्यान लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने और यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित करते कि असम को बाढ़ का सामना न करना पड़े”

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दरसल आसाम की विधानसभा ने अंग्रजी हुकूमत के समय से चली आरही प्रथा को बंद करवाया है। इससे पूर्व आसाम विधानसभा में शुक्रवार के दिन नमाज के लिए असेम्ब्ली को 2 घंटों तक स्थगीत किया जाता रहा है। इस प्रथा को बंद करते हुए विधायकों ने सदन के कामकाज को शुरू रखने का निर्णय लिया है। गौरतलब है की इस प्रथा को सादुल्ला की मुस्लिम लीग ने शुरू किया था। पुराने नियम के मुताबिक सप्ताह के शुक्रवार के दिन 11 बजे विधनसभा की स्थगिती होती थी, जिसे हटाकर सदन के काम को जारी रखा जाएगा।

इस फैसले पर अपनी सफाई देते हुए आसाम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा बताया हिंदू और मुस्लिम विधायकों ने एक साथ बैठकर सर्वसम्मति से फैसला लिया कि वे इस दौरान भी काम करेंगे। उन्होंने कहा, ““हमारी विधानसभा के हिंदू और मुसलमानों ने विधायक नियम समिति में बैठकर सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि दो घंटे का ब्रेक ठीक नहीं है। हमें इस दौरान भी काम करना चाहिए.’ यह प्रथा 1937 में शुरू हुई और कल से बंद कर दी गई है।”

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