तमिलनाडु के तिरुवल्लूर में शुक्रवार (11 अक्तूबर) शाम मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस की मालगाड़ी से टकराने के बाद हुए हादसे में जांच जारी है। इस घटना में 13 डिब्बे पटरी से उतर गए थे और 19 यात्री घायल हो गए थे।
प्राथमिक जांच में रेल ट्रैक से कुछ महत्वपूर्ण हिस्से, जैसे बोल्ट और अन्य उपकरण, गायब होने की बात सामने आयी है।राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) को शक है कि ट्रैक के साथ हथौड़े से छेड़छाड़ की गई है। यह जाँच इसलिए भी अहम है क्योंकि ऐसा ही हादसा 2023 में बालासोर में भी हो चुका है।
ये हादसा चेन्नई से 46 किलोमीटर दूर कावारापेट्टई स्टेशन के पास हुआ, जब मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस मुख्य लाइन की बजाय गलती से लूप लाइन में चली गई और वहाँ खड़ी मालगाड़ी से टकराई। दरसल ट्रेन ने पोननेरी स्टेशन से सही सिग्नल के साथ मुख्य लाइन की ओर बढ़ने की कोशिश की थी, लेकिन अचानक जोर का झटका लगा और ट्रेन लूप लाइन में चली गई। दौरान इस ट्रेन के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए और मालगाड़ी के पार्सल वैन में आग लग गई। हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई, मालगाड़ी खाली थी। इस टक्कर के बाद रेलवे ने उच्च-स्तरीय जाँच के आदेश दिए हैं।
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हादसे जे बाद एनआईए ने दो बार घटना स्थल का निरीक्षण किया। एनआईए के पुलिस अधीक्षक श्रीजित टी ने दुर्घटनास्थल का दौरा किया और रेलवे अधिकारियों से इंटरलॉक सिस्टम के बारे में जानकारी ली। रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिक जांच में संकेत मिले हैं कि सिग्नलिंग सिस्टम और ट्रैक पर छेड़छाड़ की आशंका है। एनआईए और रेलवे सुरक्षा आयुक्त यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या सिग्नल गियर और कनेक्टिंग रॉड्स के साथ जानबूझकर छेड़छाड़ की गई थी।