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Saturday, September 21, 2024
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बजरंग बली के जन्म स्थान पर कनार्टक- आंध्र प्रदेश भिड़े

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बजरंग बली के के जन्मस्थान को लेकर विवाद शुरू हो गया है। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने दावा किया है कि तिरुमला पहाड़ियों पर भगवान हनुमान का निवास स्थान है और वे इस बारे में एक ‘साक्ष्य’ आधारित पुस्तक जारी करेंगे। टीटीडी के इस दावे पर धार्मिक तथा पुरातात्विक हलकों में विवाद शुरू हो गया है क्योंकि कर्नाटक के लोग बेल्लारी के पास हंपी को सदियों से ‘किष्किंधा क्षेत्र’ या वानरों का प्रदेश मानते आये हैं। टीटीडी ने ऐलान किया था कि भगवान हनुमान का जन्म तिरुमला की सात पवित्र पहाड़ियों में से एक में हुआ था और इसे सिद्ध करने के लिए एक पुस्तक का विमोचन 13 अप्रैल को हिंदू नववर्ष, उगाडी पर किया जाएगा।

तिरुमला पहाड़ियों पर श्री वेंकटेश्वर मंदिर है। कुछ पुरातत्वविदों और इतिहासकारों ने टीटीडी के दावे को खारिज कर दिया है, वहीं विश्व हिंदू परिषद की कर्नाटक इकाई ने कहा कि टीटीडी को कुछ समय और लेना चाहिए तथा किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले विद्वानों और धर्म प्रमुखों से विचार-विमर्श करना चाहिए। कुछ इतिहासकारों की एकमत से राय है कि हंपी या विजयनगर राजवंश की पूर्ववर्ती राजधानी के आसपास का क्षेत्र किष्किंधा क्षेत्र है। उनका दावा है कि हंपी में पुरा-ऐतिहासिक काल की अनेक शिला कलाकृतियों में पूंछ वाले लोगों को चित्रित किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘संगमकल्लू, बेलाकल्लू के पास अनेक गुफा कृतियों में मनुष्य के साथ पूंछ जैसी आकृति देखी जा सकती है।

इतिहासकारों के अनुसार, ‘‘इसलिए यह दलील दी जा रही है कि वानर मनुष्य जाति की ही एक प्रजाति है, जिसकी पूंछ होती है।’’ बेंगलुरु स्थित चित्रकला परिषद में कला इतिहास विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर डॉ राघवेंद्र राव कुलकर्णी के अनुसार संभवत: त्रेता युग और भगवान राम के समय इन्हीं लोगों ने उनकी सहायता की होगी। उन्होंने कहा कि धारवाड़ विश्वविद्यालय में प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर ए सुंदर ने बेल्लारी क्षेत्र में अनेक ऐसी पेंटिंग चिह्नित की हैं, जिनमें मनुष्य के पीछे की तरफ एक छोटा सा बाहरी हिस्सा दिखाई देता है। कुलकर्णी ने कहा कि हंपी में और उसके आसपास 1,000 से अधिक हनुमान मंदिर हैं। उन्होंने कहा कि हनुमान जी से जुड़ी कृतियां हंपी क्षेत्र में ही क्यों हैं और तिरुमला में क्यों नहीं हैं?

 

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