अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल कर ली है|वह जल्द ही कार्यभार संभालेंगे, लेकिन भारतीयों के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही एक खुशखबरी दे दी है|चीन, मैक्सिको और कनाडा की मुश्किलें बढ़ गई हैं| नवनिर्वाचित अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने 17 सितंबर को एक चुनावी रैली में बोलते हुए भारत पर आयात शुल्क को लेकर गंभीर आरोप लगाया था|
चुनाव में जीतने के बाद ट्रंप द्वारा अमेरिका को होने वाले 75 अरब डॉलर के भारतीय निर्यात पर टैरिफ लगाने की भी उम्मीद थी| इस बीच ट्रंप ने मैक्सिको, कनाडा, चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने के फैसले की घोषणा की है, लेकिन भारत को इस सूची से बाहर रखा गया है|
ट्रम्प ने क्या कहा?: अपने चुनाव अभियान के दौरान, डोनाल्ड ट्रम्प ने व्यापार और टैरिफ के बारे में बात करते हुए भारत को ‘एक बहुत बड़ा दुर्व्यवहारकर्ता’ कहा था। ट्रंप ने कहा था, ”भारत व्यापार संबंधों का दुरुपयोग कर रहा है और आयात पर भारी शुल्क लगा रहा है| यह अनुचित है|
ट्रंप ने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका में बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थों, विशेष रूप से फेंटेनाइल, को भेजे जाने के बारे में मैंने चीन के साथ कई बार चर्चा की है।” लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ| परिणामस्वरूप, देश में नशीले पदार्थों की भारी आमद जारी रही, मुख्यतः मेक्सिको से। जब तक इसे रोका नहीं जाता, संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने वाले सभी चीनी सामानों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा।
सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (जीएसपी) कार्यक्रम के तहत भारत को दी गई शुल्क-मुक्त पहुंच की रियायत 2019 में वापस ले ली गई। भारत इस छूट का सबसे बड़ा लाभार्थी था| इस योजना के तहत, अमेरिका को लगभग 5.7 बिलियन डॉलर मूल्य के निर्यात को शुल्क-मुक्त करने की अनुमति दी गई।
इस बीच बर्नस्टीन रिसर्च के मुताबिक ट्रंप का अमेरिकी राष्ट्रपति चुना जाना चीन के लिए बुरा होगा| साथ ही भारत को होने वाला लाभ भी सीमित होगा क्योंकि भारत को नए टैरिफ का भी सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, इससे ‘चीन-प्लस-वन’ नीति में तेजी आ सकती है, लेकिन दूसरी ओर, व्यापार बाधाओं से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और अपेक्षित ब्याज दर में कटौती में बाधा आ सकती है। इस शोध में यह भी कहा गया है कि इससे भारत में मध्यम वर्ग की खपत पर असर पड़ेगा|
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