सैफ अली खान पर उसी के घर में एक बांग्लादेशी ने हमला कर दिया। इस हमले के बाद से वामपंथियों को सांप सूंघ गया है, अगर हमलावर हिंदू होता तो वामपंथी नेता हर दूसरे हिंदू को गाली देते मिलते। इस हमले के बाद बांग्लादेशीयों का डर आपको भी सताया होगा। कही न कह आप भी सोच रहें होंगे की इन बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को मौका मिलते ही सीमा पार कैसे फेंका जाए। लेकिन जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का बांग्लादेशीयों के लिए भारी दर्द छलक रहा है, या फिर वो बांग्लादेशी घुसपैठ की घटनाओं को सामान्य कर रहें है?
सैफ अली खान पर बांग्लादेशी द्वारा हमले के बाद मामला काफी चर्चा में आया, भारत में हर तरफ से बांग्लादेशी घुसपैठों की छी-थू हो रही है। राष्ट्रिय विचारों के नेता घुसपैठों को रगड़कर देश से बाहर फेंकने की बात कर रहें है। ऐसे में ये मामला मिडिया ने भी फ़ारुक़ अब्दुल्ला को एक प्रेस कांफेरेंस में पूछा। इस पर अब्दुल्ला ने कहा, वो ऐसी घटनाओं के खिलाफ है और सैफ के अच्छे होने की कामना भी करते है। लेकीन अब्दुल्ला ने हमलावर के लिए कहा है अगर किसी ने आकर सैफ अली खान पर हमला किया है, तो आप एक व्यक्ति के काम के लिए पूरे देश को दोषी नहीं ठहरा सकते। इस बात पर अजीब तर्क देते हुए उन्होंने पूछा, अगर कोई भारतीय ब्रिटेन में कुछ गलत करता है, तो क्या आप इसके लिए भारत को दोषी ठहराएँगे? उनका कहना है की यह बातें व्यक्ति पर निर्भर करती है, देश पर नहीं। बांग्लादेशी घुसपेठ के मुद्दे पर उन्होंने अमेरिका में अवैध भारतीयों की बात भी निकाली है।
फ़ारुक़ अब्दुल्ला घुसपैठखोरों का बचाव इस तरह कर रहें थे की एक मिनट के लिए हम भी भूल गए की सैफ पर हमला करने वाला, सैफ ने किसी बांग्लादेशी पर हमला नहीं किया है। हमें लगने लगा कोई बेचारा, बेसहारा, अपना पेट पालने आया हुआ आदमी अपना घर परिवार पालने के लिए सैफ के घर में घुस गया, लेकीन पूंजीवादी कलाकार सैफ अली खान ने उस पसमांदा को बेइज्जत किया, फिर पूंजीवाद से पीड़ित एक गरीब, अनपढ़, बेसहारा मुस्लिम ने आखिर जुर्म का रास्ता चुना।
फ़ारुक़ अब्दुल्ला का कहना है की, बांग्लादेशी लोग अपना पेट पालने, परिवार को पोसने के लिए भारत आते है जैसे भारतीय अमेरिका में जाते है। हिंदी में कहते है, अधभर घघरी छलकत जाए, उसी प्रकार अब्दुल्ला ने भी कहीं का उदाहरण कहीं चिपका दिया। असल में अमेरिका में 7 लाख के करीब अवैध भारतीय अप्रवासी है, ये अप्रवासी कनाडा के रास्ते से अमेरिका में पहुंचे है, जिन्हें वापस लेने के लिए भारत तैयार है। इन अप्रवासी भारतीयों में से कइ तकनीकी काम जानते है और उन्हें H1B मिल सकता है। अर्थात ये भारतीय कल अमेरिका की अर्थव्यवस्था और उद्योगों को मजबूत करेंगे, अमेरिकी सरकार को टॅक्स देंगे। अमेरीका की जनसंख्या 35 करोड़ है और अमेरिका को उन भारतीयों की जरूरत भी है। इसीलिए अमेरिका के केस की भारत के साथ तुलना करना गलत है। लेकीन फारुक अब्दुल्ला गलती नहीं कर, रहें वो बांग्लादेशी घुसपैठ का नोर्मालिजेशन कर रहें है। जैसे यूरोप के देशों में अफ्रीकियों और मुसलमानों की घुसपैठ आम बात बन चुकी है, शायद वो चाहते है भारत में भी यह बात आम हो जाए।
भारत में इस समय 2 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी है, जिनमें से ज्यादातर लोगों ने सरकारी जमीनें घेर कर अपने घर बनाए है, कई बांग्लादेशी झुग्गी झोपड़ियों में फर्जी दस्तावेजों के साथ रहते है। पिछले डेढ़ महीने में क्राइम ब्रांच ने सिर्फ मुंबई में 30 से अधिक मामले दर्ज किए हैं और लगभग 50 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। आज ही की खबर है, एक बांग्लादेशी महिला तो महाराष्ट्र की ‘लाड़ली बहाना योजना’ से लाभ लेते हुए पकड़ी गई है। बांग्लादेशी आपको फल, सुपारी, चप्पल, के ठेले पर खड़े मिलते है। भारत के सभी नॉन ऑर्गनाइज्ड बिज़नेस में संलिप्त मिलते है। यह ड्रग्स, तस्करी, क्राइम्स में संलिप्त है। अगर आप छत्तीसगढ़ का केस देखें तो वहां अलग तरह का लव-जिहाद चल रहा है। बांग्लादेशी जनजातीय लोगों की जमीन कब्ज़ा करने के लिए उनकी बच्चियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनकी जमीन हड़प रहें है। बांग्लादेशी झारखंड के कुछ जिलों की डेमोग्राफी बदल चुके है। यह लोग धीरे-धीरे भारत के संसाधनों पर कब्ज़ा कर रहें है। आप को इस बात से झटका लग सकता है लेकीन उनके लिए घुसपैठ कराने से लेकर दस्तावेज, नौकरी, उद्योग, घर इन सभी जरूरतों की पूर्ति के लिए एक व्यवस्था बनी हुई है।
इतनी बड़ी संख्या में बसे बांग्लादेशी किसी भी राज्य, किसी भी शहर के सुरक्षा के लिहाज से खतरा है। यह इतना बड़ा खतरा है की 6 महीने के लिए इम्मीग्रेशन इमरजेंसी लगाकर सुरक्षा दलों और प्रशासन व्यवस्था को मोबलाइज कर चुनचुन कर इन्हे निकालना होगा। अरबों रुपए खर्च कर इन्हे डिपोर्ट करना होगा।
फारूक अब्दुल्ला कह रहें है वैसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और सभी सार्क देश कोई यूरोपियन यूनियन नहीं है। भारत की पाकिस्तान से खून की दुश्मनी है, भारत की उन बांग्लादेशियों से भी दुश्मनी है जो पिछले 6 महीनें में हिंदूओं का खून बहा रहें है। भारतीय नहीं चाहेंगे की कोई बांग्लादेशी मुसलमान, कोई रोहिंग्या मुसलमान भारत में आए और नौकरी करे। क्योकि भारतीयों ने इसी मुद्दे पर भाजपा कोई वोट भी देकर जिताया है। फारूक साहब बांग्लादेशी मुसलमानों को भारत में रहना ही था तो बांग्लादेश क्यों बनवाया?
पेट पालना है, गरीबी है, फलाना-ढिमकाना है, ये सब कारण सार्वभौम देशों के बीच नहीं चलते, और अगर देश दुश्मन का हुआ तो बिलकुल ही नहीं।
अगर अब्दुल्ला साहब भारत को अमेरिका ही बनाना चाहते है तो ध्यान रखिए अमेरिका को जरूरत होने के बावजूद वो अप्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए 10 अरब डॉलर खर्चने वाले है। कल को भारत भी डिपोर्टेशन जरूर करेगा, तब गला फाड़कर मत रोइयेगा। फारूक अब्दुल्ला साहब के दिल में जितना दर्द बांग्लादेशियों के लिए है, उसका आधा भी कश्मीरी हिंदुओ के लिए होता तो आज वो अपने ही देश निर्वासित नहीं होते। इसीलिए बेहतर होगा अब्दुल्ला साहब अपने पाप पहले धों लें।