अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सत्ता संभालते ही कई सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं| इस श्रृंखला में सबसे बड़ा कदम अमेरिका का संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार कौंसिल से अपनी सदस्यता वापस लेना| साथ ही उन्होंने भविष्य में भी अमेरिका से संयुक्त राष्ट्र के लिए जा रही राहत कार्य की मुद्रा को भी पूरी तरह से बंद करने के निर्देश दिए हैं|
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद् का काम है युद्ध ग्रसित क्षेत्रों में राहत कार्य करना एवं संयुक्त राष्ट्र के निर्देशों के अनुसार कार्यरत रहना| अमेरिकी सरकार का यह आरोप है कि परिषद् का काम राहत, सुधार और मानवाधिकार के अनुरूप न होकर पक्षपात का प्रारूप बन गया है जिससे अमेरिका का संस्थान पर से भरोसा उठ गया है|
ट्रम्प प्रशासन ने सदस्यता वापस लेने के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर मंगलवार को करने का निर्णय लिया है| ट्रम्प सरकार पहले भी यह कदम उठा चुकी है| वर्ष 2018 में इस कदम के पीछे की वजह यह बताई जा रही थी कि परिषद् ने इजराइल पर सीरिया, उत्तर कोरिया और ईरान को मिलाकर भी ज़्यादा निंदा के प्रस्ताव पारित किये थे| यह दर्शाता है कि इस संस्थान का उद्देश्य एक विशेष मूल को परेशान करना और उसे वंचित रखने का है|
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