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सीडीएस बिपिन रावत की जयंती पर देश की सेना ने याद किया वीर योद्धा!

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भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की जयंती पर सेना समेत पूरा देश उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। उनकी वीरता, नेतृत्व और देशभक्ति की विरासत आज भी भारतीय सशस्त्र बलों और नागरिकों को प्रेरित कर रही है।

रविवार (16 मार्च) सीडीएस जनरल अनिल चौहान समेत भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर रक्षा मंत्रालय ने उन्हें याद करते हुए कहा, “जनरल रावत का योगदान भारतीय सैन्य इतिहास में अमिट रहेगा। वे न सिर्फ एक कुशल सेनापति थे, बल्कि भारतीय सशस्त्र बलों को एकीकृत करने के पीछे सबसे महत्वपूर्ण शक्ति भी थे।”

बचपन से सैन्य जीवन तक का सफर:

16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में जन्मे बिपिन रावत का बचपन से ही सेना से गहरा जुड़ाव था। उनके पिता भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल थे। 1978 में इंडियन मिलिट्री अकादमी (आईएमए) से प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन प्राप्त किया। अपने चार दशकों के सैन्य करियर में उन्होंने कारगिल युद्ध, आतंकवाद विरोधी अभियानों और सीमा पार अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जनरल रावत को उनकी सैन्य सेवाओं के लिए  पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम, मरणोपरांत पद्म विभूषण जैसे सम्मानों से नवाजा गया।

सर्जिकल स्ट्राइक और सैन्य सुधारों के नायक

जनरल रावत के नेतृत्व में भारतीय सेना ने कई महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों को अंजाम दिया। 2016 में पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त करने की रणनीति में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने म्यांमार में भारतीय सेना के विशेष बलों द्वारा उग्रवादी ठिकानों पर हमला करने का नेतृत्व किया, जिसे भारत की सैन्य रणनीति में एक बड़ा बदलाव माना जाता है।

जनरल रावत ने भारतीय सेना में “अग्निपथ योजना” को आगे बढ़ाया, जिससे देश के सैन्य ढांचे में ऐतिहासिक बदलाव आया। उनका सपना तीनों सेनाओं (थल, जल और वायु) को एकीकृत करना था, जिस दिशा में वे लगातार काम कर रहे थे।

8 दिसंबर 2021, यह वह काला दिन था, जब तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर हादसे में जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और अन्य सैन्य अधिकारियों की मृत्यु हो गई। उनकी असमय मृत्यु ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।उनकी जयंती के अवसर पर वर्तमान सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा, “जनरल रावत न सिर्फ एक निडर योद्धा थे, बल्कि वे एक दूरदर्शी नेता भी थे। उनकी राष्ट्रभक्ति, अनुशासन और रणनीतिक सोच हमेशा सैनिकों को प्रेरित करती रहेगी।”

आज भी देश उन्हें एक महान सैन्य सुधारक, जांबाज योद्धा और अनुकरणीय सेनापति के रूप में याद करता है। उनके सम्मान में देहरादून में उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई है, जो आने वाली पीढ़ियों को उनकी वीरता की याद दिलाती रहेगी। “जनरल बिपिन रावत चले गए, लेकिन उनकी गूंज, उनकी सोच और उनकी विरासत हमेशा देश के वीर जवानों के दिलों में जिंदा रहेगी।”

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