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‘किल स्विच’ विवाद”: कनाडा ने रोका F-35 सौदा, भारत की 5th जनरेशन लड़ाकू विमान की जरूरत कैसे होगी पूरी?

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अमेरिका के अत्याधुनिक F-35 लड़ाकू विमान को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। जर्मनी ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसके हथियारों में “किल स्विच” नामक तकनीक हो सकती है, जिससे वॉशिंगटन किसी भी देश के लड़ाकू विमानों या हथियारों को रिमोटली निष्क्रिय कर सकता है। इस दावे के बाद कनाडा ने अपने F-35 फाइटर जेट सौदे को फिलहाल रोकने का फैसला किया है।

कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने अमेरिका से 88 F-35 लड़ाकू विमानों की खरीद का सौदा किया था, जिसकी कुल लागत लगभग 19 अरब डॉलर (करीब 1.58 लाख करोड़ रुपये) थी। लेकिन हाल ही में उभरे “किल स्विच” विवाद के बाद इस सौदे पर स्टे लगा दिया गया है। कनाडा की सरकार इस डील के लिए पहले ही 14 अरब डॉलर का अग्रिम भुगतान कर चुकी है। इसके बावजूद, सरकार ने सौदे पर पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका कनाडा के हथियारों को रिमोटली कंट्रोल कर सकता है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।

भारत के लिए5th जनरेशन फाइटर जेट की जरूरत केवल तकनीकी उन्नति का विषय नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक आवश्यकता बन गई है। भारत की दो मोर्चों पर लड़ाई की संभावना (चीन और पाकिस्तान) को देखते हुए, देश को एक स्टील्थ, हाई-थ्रस्ट और अत्याधुनिक एवियोनिक्स वाले लड़ाकू विमान की तुरंत जरूरत है।

बता दें की, हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच F-35 खरीद को लेकर बातचीत हुई थी। अमेरिकी अधिकारी चाहते हैं कि भारत अपनी वायुसेना को अपग्रेड करने के लिए F-35 का ऑर्डर दे। हालांकि, भारतीय विशेषज्ञ इस बात से चिंतित हैं कि अगर भविष्य में भारत और अमेरिका के रिश्ते खराब होते हैं, तो अमेरिका अपने निर्यात किए गए F-35 विमानों को रिमोटली नियंत्रित या निष्क्रिय कर सकता है।

दरम्यान रूस ने भारत को अपने Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट की पेशकश की है, जो पहले ही रूसी वायुसेना में शामिल हो चुका है। इसके अलावा, रूस भारत के साथ Su-75 “Checkmate” प्रोजेक्ट पर भी बातचीत कर रहा है, जो कि एक सिंगल-इंजन 5th जनरेशन का लड़ाकू विमान है। रूस का दावा है कि उसके लड़ाकू विमानों में “किल स्विच” जैसी कोई तकनीक नहीं होगी और वह भारत को पूरी तकनीकी ट्रांसफर देने को तैयार है।

चीन पहले ही अपने J-20 स्टील्थ फाइटर जेट को तैनात कर चुका है और पाकिस्तान भी चीन से J-31 खरीदने की योजना बना रहा है। भारत के पास अभी भी 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं (Rafale, Su-30MKI), जबकि चीन और अमेरिका 5वीं पीढ़ी की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। इसी कारण से भारत को जल्द से जल्द 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान भर्ती करने होंगे। यदि भविष्य में युद्ध होता है, तो इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर का ज्यादा इस्तेमाल होगा, जहां “किल स्विच” जैसी तकनीक भारत के लिए घातक साबित हो सकती है।

भारत अपने AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जो एक पूरी तरह स्वदेशी 5th जनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट होगा। लेकिन इसकी पहली उड़ान 2030 से पहले संभव नहीं दिख रही है। इस देरी के कारण भारत को तत्काल किसी 5th जनरेशन लड़ाकू विमान की जरूरत होगी।

भारत को F-35 की “किल स्विच” तकनीक को लेकर स्पष्टता मांगनी होगी। रूस के साथ Su-57 या Su-75 “Checkmate” के टेक्नोलॉजी ट्रांसफर को लेकर बातचीत तेज करनी होगी। भारत को AMCA प्रोजेक्ट में तेजी लाने और 2030 से पहले इसे तैनात करने की कोशिश करनी चाहिए।

भारत को5th जनरेशन के फाइटर जेट की जरूरत अब विलासिता नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की अनिवार्यता बन चुकी है। “किल स्विच” विवाद और कनाडा की स्थिति को देखते हुए, भारत को अपनी अगली रणनीति बहुत सोच-समझकर बनानी होगी।

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