दरअसल, जामुन का वैज्ञानिक नाम सिजीगियम क्यूमिनी है। जामुन भारत सहित दक्षिण एशिया में खूब पाया जाता है। गर्मियों में पैदा होने वाला जामुन स्वाद में खट्टा-मीठा होता है। आमतौर पर इसको नमक के साथ खाया जाता है। बताया जाता है कि जामुन का फल 70 प्रतिशत खाने योग्य होता है। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज दो मुख्य स्रोत होते हैं। इसके अलावा, ये अन्य फलों की तुलना में कम कैलोरी प्रदान करता है।
इतना ही नहीं, इस फल के बीज में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा भी काफी अधिक होती है और इसमें विटामिन बी, कैरोटिन, मैग्नीशियम और फाइबर भी पाया जाता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन ने भी ‘जामुन’ के गुणों का लोहा माना है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित (अक्टूबर, 2022) एक रिपोर्ट के अनुसार, जामुन को डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे जैसी चयापचय (मेटाबॉलिक) समस्याओं के इलाज में खास तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से जामुन मेटाबॉलिक सिंड्रोम नाम की स्थिति में भी फायदेमंद हो सकता है।
शोध के मुताबिक, नतीजों से पता चला कि जामुन इन समस्याओं के लक्षणों और संकेतकों को बेहतर करने में मदद करता है। कई शोधों में ये भी देखा गया कि जामुन न सिर्फ मेटाबॉलिक सिंड्रोम बल्कि दूसरी बीमारियों में भी असरदार है। आज इसे लोक दवा के तौर पर मेटाबॉलिक सिंड्रोम के मरीजों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
जामुन का सेवन कई बीमारियों के लिए कारगर माना जाता है। कहते हैं कि गर्मियों के दिनों में जामुन के सेवन करने से लू नहीं लगती है और यह कैंसर की संभावना को कम करने में भी काफी मददगार साबित होता है। इसके अलावा, आयुर्वेद में जामुन को डायबिटीज के लिए फायदेमंद माना गया है। साथ ही, इसका सेवन खाने को पचाने, स्वस्थ त्वचा और बालों के लिए लाभकारी और इम्युनिटी बूस्ट करने के लिए भी फायदेमंद होता है।
इसके अलावा, जामुन के सेवन से ‘दिल’ भी काफी स्वस्थ रहता है। जामुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट सूजन को कम करके और ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाकर हृदय स्वास्थ्य में भी योगदान देते हैं। साथ ही, जामुन के बीज का पाउडर अपने एंटीऑक्सीडेंट गुण की वजह से लीवर के लिए कारगर माना जाता है। इसमें मौजूद आयरन की वजह से यह ब्लड को शुद्ध करने में मदद करता है।
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