रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी इन दिनों अपनी धार्मिक पदयात्रा को लेकर सुर्खियों में हैं। वह जामनगर से द्वारकाधीश मंदिर तक की 140 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान वह प्रतिदिन करीब 10-12 किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं। लेकिन इस पदयात्रा की चर्चा केवल उनकी भक्ति और श्रद्धा तक सीमित नहीं है, बल्कि उनकी करुणा और पशु प्रेम भी सुर्खियां बटोर रहा है।
अनंत अंबानी ने पदयात्रा के दौरान एक ऐसी घटना को अंजाम दिया, जिसने उनके दयालु स्वभाव को उजागर किया। रास्ते में उन्होंने एक ट्रक को देखा, जिसमें मुर्गियों को बूचड़खाने ले जाया जा रहा था। उन्होंने तुरंत उस वाहन को रुकवाया और सभी मुर्गियों को खरीद लिया। इसके बाद उन्होंने आदेश दिया कि इन मुर्गियों को आज़ाद किया जाए और उन्हें सुरक्षित स्थान पर भेजा जाए।
उनके इस कदम की सोशल मीडिया पर जमकर सराहना हो रही है। कई लोगों ने इसे एक मिसाल करार दिया कि कैसे एक उद्योगपति परिवार से आने के बावजूद अनंत अंबानी पशु संरक्षण के प्रति इतनी गहरी संवेदनशीलता रखते हैं।
अनंत अंबानी का पशु प्रेम कोई नई बात नहीं है। उन्होंने जामनगर में ‘वनतारा’ नामक एक पशु पुनर्वास केंद्र की स्थापना की है, जहां घायल, बीमार और जरूरतमंद जानवरों की देखभाल की जाती है। इस परियोजना के तहत अब तक 200 से अधिक हाथियों सहित हजारों जानवरों को बचाया गया है। उनका कहना है कि पशुओं की सेवा का यह संस्कार उन्हें अपने माता-पिता से मिला है। वह बचपन से ही जानवरों के प्रति प्रेम और करुणा रखते आए हैं और इस दिशा में लगातार कार्य कर रहे हैं।
अनंत अंबानी की यह पदयात्रा केवल पशु सेवा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनकी आध्यात्मिक यात्रा का भी हिस्सा है। द्वारकाधीश मंदिर तक की इस कठिन यात्रा को उन्होंने भक्ति और तपस्या के रूप में लिया है। उनके साथ कई श्रद्धालु और समर्थक भी इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं।
उनके इस अनूठे प्रयास से यह संदेश मिलता है कि भक्ति केवल मंदिरों तक सीमित नहीं होती, बल्कि दयालुता और सेवा भी इसका अभिन्न हिस्सा है। अनंत अंबानी की यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरण और पशु संरक्षण के लिए भी प्रेरणादायक है।
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