संसद से वक्फ संशोधन विधेयक 2025 के पारित होने के बाद राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के चेयरमैन और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने इसे “ऐतिहासिक दिन” बताते हुए विपक्ष पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल यह भ्रम फैला रहे थे कि विधेयक पारित नहीं हो पाएगा और सरकार गिर जाएगी, लेकिन दोनों सदनों से विधेयक के पारित होने से स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो गई है।
जगदंबिका पाल ने विपक्ष की तुष्टीकरण नीति को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “देश का आम गरीब, ओबीसी और पसमांदा मुस्लिम समुदाय अब यह समझ गया है कि यह संशोधन उनके हित में है। सरकार ने पारदर्शिता के साथ कानून बनाया और जेपीसी गठित कर सभी हितधारकों से राय ली। हमने संविधान के अनुरूप विधेयक पारित किया है, यह दिन भारतीय संसदीय इतिहास में ऐतिहासिक है।”
विपक्ष पर तीखा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि “काला दिन” उन लोगों के लिए हो सकता है जो इस विधेयक का विरोध कर रहे थे, लेकिन मुस्लिम समाज के लिए यह दिन ईद और बकरीद जैसे पर्व की तरह है। उन्होंने दावा किया कि इंडी गठबंधन बिखर चुका है और अब उनके साथ कोई नहीं है—नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और ममता बनर्जी सब अलग हो चुके हैं। “जिस तरह दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र में कमल खिला, उसी तरह बंगाल में भी खिलेगा,” पाल ने कहा।
दूसरी ओर, कांग्रेस सांसद के. सुरेश ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि पूरा विपक्ष इस विधेयक के खिलाफ एकजुट हुआ था और संसद में अपनी ताकत भी दिखाई। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार “एक-एक करके सभी अल्पसंख्यकों” को निशाना बना रही है। “उन्होंने शुरुआत मुस्लिमों से की है, आगे ईसाई, सिख, पारसी और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की बारी आएगी,” सुरेश ने कहा।
सुरेश ने बीजद और वाईएसआरसीपी जैसे दलों पर भी निशाना साधा, जो सरकार के समर्थन में खड़े रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह दल अपने स्वार्थ के लिए बार-बार पाला बदलते हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए विपक्ष लड़ाई जारी रखेगा।
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गौरतलब है कि वक्फ संशोधन विधेयक 2025 का उद्देश्य वक्फ बोर्डों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि इसके प्रावधान अल्पसंख्यक अधिकारों के खिलाफ हैं। अब इस विधेयक के कानून बनने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद देश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग को लेकर नया परिप्रेक्ष्य सामने आएगा, जिसकी सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया पर नजर बनी रहेगी।