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Sunday, November 24, 2024
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उद्धव-आदित्य ठाकरे के खिलाफ ट्वीट करने वाली महिला को बड़ी राहत, जानिए क्या है मामला ?

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मुंबई। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे व उनके मंत्री पुत्र अदित्य ठाकरे की कार्य प्रणाली को लेकर आलोचना करने वाला ट्विट करने वाली महिला को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत प्रदान की है। कोर्ट ने कहा कि ट्विट में कुछ भी आपत्तिजनक नजर नहीं आ रहा है। इससे दो समुदाय में नफरत भी नहीं फैलती। इस लिए महिला के खिलाफ एफआईरआई को रद्द किया जाता है।
नई मुंबई निवासी होले ने 2020 में कोरोना की पहली लहर के वक्त लगे ल़ॉकडाउन के वक्त बांद्रा स्टेशन के बाहर इकठ्ठा हुई प्रवासी मजदूरों की भीड़ को लेकर ट्वीट किए थे। हाईकोर्ट ने सभी ट्वीट को देखने के बाद कहा कि इससे हमें नहीं लगता है कि याचिकाकर्ता ने कुछ गलत किया है। इसलिए होले के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द किया जाता है। होले ने पिछले साल अधिवक्ता डॉ अभिनव चंद्रचूड़ के माध्यम से एफआईआर रद्द करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। होले पर दो समुदायों के बीच वैमनस्य व नफरत फैलाने का आरोप था।
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति एम एस कर्णिक की खंडपीठ ने बुधवार को आप अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी ने अपने ट्वीट में किसी समुदाय का नाम नहीं लिखा है। यह दो समुदायों के बीच नफरत भी नहीं फैलाते हैं। इसलिए किसी भी स्थिति में यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपी ने दो समुदायों के बीच नफरत फैलाई हैं। क्योंकि ट्वीट में किसी समुदाय का उल्लेख नहीं है। इसलिए यदि बारिकी से आरोपी के ट्वीट को देखा जाए तो उसमें कुछ गलत करने का आशय नहीं नजर आता है। खंडपीठ के फैसले के बाद राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज मोहिते ने फैसले पर रोक लगाने का आग्रह किया। ताकि वे उचित कदम उठा सके। उन्होंने दावा किया था कि आरोपी के ट्विटर पर 20 हजार फॉलोअर्स है। उनकी बहुत लोगों तक पहुंच है। वहीं आरोपी के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने कहा कि ज्यादा लोगों तक पहुंच होने का अर्थ यह नहीं है कि उनकी मुवक्किल पेशेवर ट्वीट करने वाली है। इसके अलावा मेरे मुवक्किल के ट्वीट से कोई अप्रिय घटना भी नहीं घटी है। इस दौरान कोर्ट ने मौजूदा परिस्थितियों में भी सोशल मीडिया में नजर रखने के लिए पुलिस की सराहना की। अदालत ने कहा कि बांद्रा सायबर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द किया जाता है। खंडपीठ ने फैसले पर रोक लगाने से भी इंकार कर दिया।

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