कोरोना काल ने बदली छोटे परदे की इकॉनमी

कोरोना काल ने बदली छोटे परदे की इकॉनमी

मुंबई। कोरोना काल में टीवी सीरियलों की शूटिंग पर पाबंदी लगाने से टीवी चैनलों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। शूटिंग पर पाबंदी से निर्माता भी हताशा में थे, लेकिन अब फिर सब-कुछ पटरी पर लौटने लगा है। घर-घर के पसंदीदा सीरियलों की सीरिज पुनः शुरू हो गई है। कोरोना की जब दूसरी लहर आई थी, तब सभी सीरियलों ने महाराष्ट्र की सरजमीं छोड़ यहां की सरहद लांघ दी थी। सीरियलों के कलाकारों और निर्माताओं ने महाराष्ट्र से बाहर अन्य राज्यों में  जाकर अपना काम जारी रखा।

विशेष दर्शक वर्ग बनाया: कोरोनाकाल के बाद छोटे पर्दे का चेहरा पूरी तरह बदल गया है। लॉकडाउन के उपरांत यह महत्वपूर्ण बात रेखांकित की गई है कि छोटे पर्दे ने अपना विशेष दर्शक वर्ग बना रखा है और इसीलिए वह परिवार का अहम हिस्सा बन गया है।
समूची कायापलट:  लॉकडाउन के बाद सीरियलों की शूटिंग पर लगी पाबंदी हटने पर निर्माताओं समेत चैनलों ने भी नए विषयों को लेकर कमर कस ली, जिसके चलते अब कई दिग्गज कलाकारों ने भी सीरियलों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। इससे सीरियलों का अर्थशास्त्र बदल गया है। सीरियलों की भी कायापलट हो गई है।
रोजाना खासा कमाई:  विषयों की नवीनता के कारण जाने-माने कलाकार भी इस ओर रुख कर रहे हैं। इन्हीं सब कारणों से अर्थ-व्यवस्था में भी बदलाव आया है। कलाकारों के  मेहनताने में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कई लोकप्रिय कलाकार रोजाना 80 हजार से एक-डेढ़ लाख रुपए तक कमा रहे हैं, इसलिए हम इस माध्यम के दायरे और महत्व को महसूस करेंगे।
लोकप्रिय-दिग्गज कलाकार कर रहे रुख: फिलहाल नाटक के थिएटर की तीसरी घंटी कोरोना पाबंदियों के कारण कुछ समय के लिए बंद है, इसलिए अभी कलाकारों को तेजी से सीरियलों का रुख करते देखा जा रहा है। विविध चैनल अब लोकप्रिय कलाकारों के साथ नए सीरियल ला रहे हैं। इस समय कई नए अपकमिंग सीरियल हमारा ध्यानाकर्षित कर रहे हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि नए सीरियलों की लॉन्चिंग इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि यहां की अर्थ-व्यवस्था अब बदल गई है।

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