मुंबई। ऐन गणेशोत्सव के दौरान कुदरत की कोपदृष्टि से इस बार फूल बाजार कुम्हलाया हुआ है। त्योहारी सीजन में फूलों की काफी डिमांड रहती है। कई लोग तो विशेष रूप से गणपति के लिए विविध रंगबिरंगे फूल की सजावट करते हैं। लेकिन इस साल बारिश ने फूल कारोबारियों पर भारी असर डाला है। राज्य भर में हुई बारिश फूलों के लिए विनाशकारी साबित हुई है।
उम्मीदों पर फिरा पानी
बारिश के कारण ज्यादा गीले होने से असल में फूल मुरझा गए हैं, जिससे ग्राहकों के बाजार से मुंह मोड़ लेने से फूल विक्रेताओं की उम्मीदों को पाला मार गया है। अपने यहां शुभ कार्यों में पुष्प अर्पित करने की सनातन परंपरा है। उसे श्रृंगार का प्राकृतिक आभूषण माना जाता है। इस कारण कई लोग खासकर तीज-त्योहारों पर बाजार पहुंचकर थोक भाव में फूल खरीद लिया करते हैं। लेकिन इस बार यह बाजार पूरी तरह बेहोश है। आम तौर पर देखें, तो फूल बाजार में इतनी भीड़भाड़ रहती है कि कोई पाँव तक नहीं रख सकता।
मंदिरों के बंद होने से भी असर
कोरोनारोधी पाबंदी के कारण कई मंडलों ने तो इस बार गणपति ही नहीं बिठाए, इसलिए वहां से होने वाली फूलों की मांग घट गई। फिर बीते कुछ महीनों से मंदिरों के पट बंद होने से भी फूलों का कारोबार आर्थिक संकट में है। मुंबई के ज्यादातर मंडलों में फूलों की साज-सज्जा हुआ करती है, पर इस साल उसकी उतनी मांग न होने से फूल बाजार की हालत खस्ता है।
गेंदा गिरा 80 से 50 पर
आम तौर पर त्योहारी सीजन में गेंदा 80 रुपये प्रति किलो के भाव से आसानी से खप जाता है, जो अभी घटकर 50 रुपए तक आ पहुंचा है, फिर भी बाजार ग्राहकों से बेरौनक है। फूल कारोबारी दोनों तरफ से दुविधा में हैं, एक तरफ पाबंदी और दूसरी तरफ प्रकृति। कारोबार के लिहाज से फायदेमंद इस तरह कई त्योहार की भेंट चढ़ फूल व्यापारियों के हाथ से निकल गए, वह नुकसान अलग है। इससे फूल वाले इन दिनों भारी संकट की चपेट में हैं।
30% फूल फेंकने लायक
बारिश में भीगे हुए फूल ज्यादा वक्त तक नहीं टिकते। इसलिए उनकी कीमत काफी कम हो गई है। जलवायु परिवर्तन ने भी फूलों के कुम्हलाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। इससे कारोबारियों को करीब 30% फूल फेंक देना पड़ रहा है।