प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने फर्जी बैंक गारंटी रैकेट पर शिकंजा कसते हुए अनिल अंबानी ग्रुप की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं। 24 जुलाई को पिछले हफ्ते, ईडी ने मुंबई में रिलायंस समूह से जुड़े 35 ठिकानों पर छापेमारी की थी और लगभग 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों के वित्तीय लेनदेन की जांच की थी। इन छापों में घोटाले से जुड़े एहम दस्तावेज बरामद हुए हैं। इसके बाद ED ने अब मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर पश्चिम बंगाल और ओडिशा में चार स्थानों पर छापेमारी की है।
यह कार्रवाई EOW (इकोनॉमिक ऑफेंस विंग)दिल्ली द्वारा दर्ज एक FIR के आधार पर की गई है। अब ईडी ने इस मामले में धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत केस दर्ज कर Biswal Tradelink Pvt. Ltd. और उससे जुड़े निदेशकों तथा सहयोगियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं।
कहां हुई कार्रवाई और कौन-कौन है जांच के घेरे में:
- Biswal Tradelink Pvt. Ltd. (मुख्यालय ओडिशा) ने कथित रूप से 8% कमीशन पर फर्जी बैंक गारंटी जारी की।
- जांच में सामने आया कि यह समूह फर्जी बिलिंग में भी शामिल रहा है।
- कई अघोषित बैंक खाते मिले हैं जिनमें करोड़ों के लेन-देन हुए हैं।
- कंपनी सिर्फ कागजों पर मौजूद पाई गई; उसका रजिस्टर्ड ऑफिस एक निजी रिहायशी संपत्ति है, जो निदेशक के रिश्तेदार के नाम पर है।
- समूह की अन्य कंपनियों के साथ भी संदिग्ध वित्तीय लेनदेन पाए गए हैं।
- प्रमुख आरोपी Telegram ऐप पर ‘Disappearing Messages’ के जरिए सबूत मिटाते थे।
- अनिल अंबानी समूह पर 24 जुलाई को हुई रेड में मिले दस्तावेजों का सीधा संबंध इस रैकेट से जुड़ा पाया गया।
- Reliance NU BESS Ltd और Maharashtra Energy Generation Ltd द्वारा Solar Energy Corporation of India (SECI) को सौंपी गई ₹68.2 करोड़ की बैंक गारंटी फर्जी निकली।
- इस फर्जी गारंटी को असली दिखाने के लिए आरोपियों ने State Bank of India (SBI) की फर्जी मेल आईडी s-bi.co.in से स्पूफिंग ईमेल भेजे।
- ईडी ने इस डोमेन की पंजीकरण जानकारी National Internet Exchange of India (NIXI) से मांगी है।
ईडी की इस कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि घोटाले में सिर्फ छोटे कारोबारी नहीं, बल्कि बड़ी कॉर्पोरेट इकाइयां भी शक के घेरे में हैं। अनिल अंबानी समूह का इस घोटाले से जुड़ना एक बड़ा घटनाक्रम है, जिसके चलते ईडी ने अनिल अंबानी को 5 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया है।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “इस घोटाले में जिस स्तर की टेक्नोलॉजी और नेटवर्किंग का इस्तेमाल हुआ है, वह चौंकाने वाला है। फर्जी दस्तावेज, नकली डोमेन और डिजिटल सबूत मिटाने की कोशिशें इसे एक संगठित वित्तीय अपराध साबित करती हैं।” फर्जी बैंक गारंटी घोटाले की जांच अब रिलायंस ग्रुप और उससे जुड़ी संस्थाओं तक पहुंच चुकी है। ईडी की कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि जांच केवल सतही नहीं है, बल्कि गहराई तक जाकर नेटवर्क को खंगाला जा रहा है।
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