देश में कर सुधारों की दिशा में बड़ा कदम माने जा रहे जीएसटी 2.0 की शुरुआत 22 सितंबर 2025 से होने जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि नया ढांचा दो स्लैब प्रणाली पर आधारित होगा, जिससे टैक्स व्यवस्था और सरल होगी। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि जीएसटी 3.0 में देश को क्या मिलने वाला है।
सीतारमण ने एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि जीएसटी 1.0 का मकसद था “एक राष्ट्र, एक कर” के सिद्धांत के तहत देशभर में विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को खत्म करके एक व्यवस्था लागू करना। अब जीएसटी 2.0 का लक्ष्य है सरलता लाना, जिसमें दो-स्लैब टैक्स संरचना शामिल की गई है।
सरकार का कहना है कि इस नए ढांचे का ध्यान आम आदमी और मध्यवर्ग पर है। बुनियादी जरूरतों की वस्तुओं पर न्यूनतम दर लागू होगी, जबकि विलासिता की चीजों पर उच्च कर दर रखी जाएगी। उदाहरण के लिए, नमक और चीनी पर समान कर दर होगी, लेकिन शुगरी ड्रिंक्स और हाई-शुगर प्रोडक्ट्स पर अलग दरें लागू होंगी।
शिक्षा क्षेत्र में भी स्पष्टता लाई गई है—जहां सामान्य स्कूलिंग टैक्स-फ्री रहेगी, वहीं कमर्शियल कोचिंग सेंटर पर छूट नहीं मिलेगी।
सीतारमण ने जोर देकर कहा कि कारोबारियों को टैक्स कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाना होगा। उन्होंने कहा,“22 सितंबर के बाद हमारे लिए सबसे बड़ी निगरानी यह होगी कि कम दरों का फायदा जनता तक पहुंचे। इसमें पब्लिक सेक्टर कंपनियां भी शामिल होंगी।”
वित्त मंत्री ने संकेत दिया कि अगला चरण यानी जीएसटी 3.0 इस सरलता को और मजबूत करेगा। उनका कहना था कि अगला संस्करण स्थिरता, निष्पक्षता और सुगम कार्यान्वयन पर आधारित होगा। यानी टैक्स प्रणाली को सीधा और साफ रखना, ताकि छोटे व्यापारी भी बिना बोझ के इसका पालन कर सकें।
सरकार को उम्मीद है कि जीएसटी सुधारों से न केवल करदाताओं की जिंदगी आसान होगी, बल्कि खपत और आर्थिक विकास को भी बल मिलेगा। सीतारमण ने कहा, “इस सुधार से अर्थव्यवस्था को सहारा मिलेगा और राजस्व में नई buoyancy (लचीलापन और मजबूती) आएगी।”
जैसे-जैसे देश 22 सितंबर से जीएसटी 2.0 की तैयारी कर रहा है, आम घरों तक इसके फायदे कितनी जल्दी पहुंचते हैं, इस पर सबकी नजर होगी। वहीं, जीएसटी 3.0 की चर्चा शुरू होने के साथ ही भारत की कर व्यवस्था एक और बड़े बदलाव की ओर बढ़ती दिख रही है।
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