पुरानी पेंशन का विरोध: DCM ने कहा- योजना को लागू करना दिवालियापन’   

फडणवीस ने योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अहलूवालिया के बयान का किया समर्थन,उन्होंने कहा था कि पुरानी पेंशन लागू करना सरकार पर बोझ लादने  जैसा है।    

पुरानी पेंशन का विरोध: DCM ने कहा- योजना को लागू करना दिवालियापन’   

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुरानी पेंशन योजना मामले में तत्कालीन योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया के तर्क का विधान परिषद में शुक्रवार को समर्थन किया। फडणवीस 2005 के बाद सरकारी नौकरी में आने वाले शिक्षकों और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन के कार्यान्वयन पर राज्य की योजनाओं के बारे में कांग्रेस के सदस्य राजेश राठौड़ की ओर से पूछे गये एक सवाल का जवाब दे रहे थे।

हाल ही में, अर्थशास्त्री अहलुवालिया ने कहा था कि पुरानी पेंशन को फिर से लागू करना ‘‘वित्तीय दिवालियापन का एक तरीका’’ होगा। फडणवीस ने ऊपरी सदन में कहा, “अहलुवालिया ने कहा है कि पुरानी पेंशन को फिर से लागू करना अगली सरकारों पर वित्तीय बोझ लादने के समान होगा। वेतन, मेहनताना और पेंशन पहले से ही राज्य के वार्षिक खर्च का 58 प्रतिशत है और यह 62 प्रतिशत तक पहुंच रहा है। अगले वित्तीय वर्ष तक यह 68 प्रतिशत होगा।” पुरानी पेंशन के तहत कर्मचारियों को एक निर्धारित पेंशन मिलती है। एक कर्मचारी पेंशन के रूप में अंतिम वेतन की 50 प्रतिशत राशि प्राप्त करने का हकदार है।

वर्ष 2003 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली तत्कालीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पुरानी पेंशन को समाप्त कर दिया था और संबंधित आदेश एक अप्रैल 2004 से प्रभावी हो गया था। फडणवीस ने कहा, “वर्ष 2030 में बड़ी संख्या में कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे। तब तक 2.5 लाख से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जाएंगे। मासिक वेतन से वर्तमान में कटौती की गई पेंशन राशि का कुछ हिस्सा पूंजी बाजार में निवेश किया गया है। अधिकांश प्रमुख देश इसी प्रक्रिया का पालन करते हैं।

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