वैश्विक वित्तीय संस्था मॉर्गन स्टेनली की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, भारत तेजी से दुनिया का सबसे अधिक मांग वाला उपभोक्ता बाज़ार बनने की ओर अग्रसर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मज़बूत घरेलू मांग, औद्योगिक क्षमता में वृद्धि और व्यापक आर्थिक स्थिरता के चलते भारत आने वाले वर्षों में निवेशकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य साबित हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का ऋण-से-जीडीपी अनुपात लगातार बढ़ रहा है और जीडीपी में मैनुफैक्चरिंग क्षेत्र की हिस्सेदारी भी बढ़ी है। इसके साथ ही, तेल पर निर्भरता घटने और विशेषकर सेवाओं के निर्यात में वृद्धि ने देश की बाह्य स्थिति को और मज़बूत किया है।
मॉर्गन स्टेनली ने अनुमान जताया है कि अगले तीन वर्षों में भारत प्राथमिक सरप्लस की स्थिति में आ सकता है। इससे बचत-निवेश असंतुलन कम होगा और वास्तविक ब्याज दरें नीचे आ सकती हैं। आपूर्ति पक्ष में सुधार और लचीली मुद्रास्फीति नीति से मुद्रास्फीति में भी कम अस्थिरता की संभावना है।
रिपोर्ट कहती है कि उच्च वृद्धि, घटती ब्याज दरें और कम अस्थिरता का संयोजन भारत को निवेशकों के लिए अत्यधिक आकर्षक बनाता है। पी/ई अनुपात में संभावित वृद्धि और घरेलू बैलेंस शीट में इक्विटी की ओर झुकाव, शेयर बाजार में खुदरा भागीदारी को और बढ़ावा दे सकता है।
मॉर्गन स्टेनली का मानना है कि बेहतर व्यापक आर्थिक स्थिरता और घरेलू पोर्टफोलियो में विविधता भारत को “कम बीटा” वाले वातावरण में वैश्विक निवेशकों के लिए और अधिक आकर्षक बना रही है। दिलचस्प बात यह है कि मौजूदा इक्विटी बाज़ार का प्रदर्शन इस वास्तविकता को पूरी तरह नहीं दर्शाता कि भारत की वैश्विक जीडीपी में हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की मजबूत घरेलू मांग, अनुकूल जनसांख्यिकी और नीतिगत सुधार देश को एक दीर्घकालिक उच्च विकास और कम अस्थिरता वाले दौर की ओर ले जा सकते हैं। यदि ये सभी कारक एकसाथ चलते हैं, तो भारत निकट भविष्य में दुनिया का सबसे अधिक मांग वाला उपभोक्ता बाज़ार बन सकता है।
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