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Tuesday, May 20, 2025
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3 दिनों में पिट गया पाकिस्तान स्टॉक मार्केट !

पाकिस्तान की वित्तीय प्रणाली पर भारत के सैन्य अभियानों और क्षेत्रीय तनाव का असर साफ देखा जा सकता है।

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भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के चलते पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (PSX) को इस सप्ताह जबरदस्त झटका लगा। तीन दिनों के भीतर निवेशकों को करीब 820 अरब पाकिस्तानी रुपये का नुकसान झेलना पड़ा। हालांकि शुक्रवार को हालात में थोड़ी नरमी आते ही बाजार में सुधार के संकेत देखने को मिले और केएसई-100 इंडेक्स में 799.65 अंकों की बढ़त दर्ज की गई, जो कि 0.77 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।

इस सप्ताह की शुरुआत में जब भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले किए, तो बाजार में भारी अफरातफरी मच गई। एलओसी पर भारी गोलीबारी, और नई सैन्य कार्रवाइयों ने निवेशकों में घबराहट बढ़ा दी। निवेशकों को अंदेशा था कि यह झड़पें किसी बड़े युद्ध में बदल सकती हैं।

हालांकि, शुक्रवार को हालात कुछ हद तक स्थिर नजर आए। “बाजार ने दिन की शुरुआत मिले-जुले रुख के साथ की, लेकिन जैसे ही दोपहर तक कोई नई युद्ध-संबंधी खबर नहीं आई, निवेशकों में हल्का भरोसा लौटा और उन्होंने गिर चुके शेयरों की खरीदारी शुरू की,” बताया सना तौफीक, रिसर्च हेड, अरिफ हबीब लिमिटेड ने।

चेस सिक्योरिटीज के रिसर्च डायरेक्टर यूसुफ एम फारूक ने कहा कि इस तरह की उठापटक संघर्ष के समय आम होती है। “लंबी अवधि की सोच रखने वाले निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसे समय में धीरे-धीरे पोर्टफोलियो तैयार करना ही समझदारी है,” उन्होंने सलाह दी।

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि युद्ध की संभावना घटने के साथ ही कुछ निवेशक अब मौके का फायदा उठाकर सस्ते हुए स्टॉक्स खरीदने में लगे हैं। “बाजार अभी भी पूरी तरह स्थिर नहीं है, लेकिन निवेशकों की उम्मीदें यह हैं कि हालात सामान्य होंगे और बाजार फिर से मजबूती पकड़ेगा,” कहा एक प्रमुख दलाल ने।

इस हल्की रिकवरी के बावजूद पाकिस्तान की वित्तीय प्रणाली पर भारत के सैन्य अभियानों और क्षेत्रीय तनाव का असर साफ देखा जा सकता है। जहां एक ओर युद्ध की आशंका ने आर्थिक बाजारों को झकझोर दिया है, वहीं दूसरी ओर यह संदेश भी स्पष्ट है कि शांति ही स्थायित्व और निवेश के लिए सबसे जरूरी शर्त है।

अब सबकी नजर इस पर टिकी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव किस दिशा में जाता है—क्योंकि क्षेत्रीय स्थिरता के बिना बाजार की सांसें भी लगातार अटकी रहेंगी।

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