भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने चालू वित्त वर्ष में एक बार फिर ब्याज दरों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की है। तीन दिन तक चली बैठक में समिति ने रेपो रेट को बढ़ाने से इंकार कर दिया। इस तरह से देखा जाए तो रेपो रेट 6.50 प्रतिशत ही है। इस संबंध में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को बताया कि समिति ने एक बार फिर ब्याज दरों को ज्यों का त्यों रखने पर सहमति जताई।
गौरतलब है कि आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों ने रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया है। इसे पहले अप्रैल माह में मौद्रिक नीति समिति की बैठक हुई थी। इस बैठक में भी दरों को ज्यों का त्यों रखने पर सहमति बनी थी। इससे पहले आरबीआई ने महंगाई को काबू करने के लिए लगातार रेपो रेट को बढ़ाया था। लेकिन दो बार से बैंक ने ब्याज दरों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की है।
बता दें कि रेपो रेट में पिछले साल मई में बढ़ोत्तरी की गई थी। उस समय मौद्रिक नीति समिति ने आपात बैठक बुलाकर रेपो रेट को बढ़ाने का फैसला किया था। मई 2022 में लंबे समय के बाद ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की गई थी। बैंक ने महंगाई को काबू करने के लिए मई 2022 से लेकर फरवरी 2023 तक छह बार रेपो रेट में बढ़ोत्तरी कर चुका है। बताया जा रहा है कि रेपो रेट की नरमी की वजह से कई बैंक ब्याज दरों को घटाने लगे गए हैं। माना जा रहा है किआरबीआई के इस फैसले से पर्सनल लोन, होम लोन और कार लोनों के ब्याज दरें काम हो सकती हैं। वहीं जिन लोगों ने पहले से होम लोन या अन्य लोन ले रखा है। उसकी ईएमआई कम हो सकती है।
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