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संचार साथी ऐप अनिवार्य नहीं, इसे हटाया जा सकता है: मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधियां का खुलासा

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केंद्र सरकार द्वारा स्मार्टफ़ोन निर्माताओं को अनिवार्य रूप से संचार साथी (Sanchar Saathi) ऐप प्री-इंस्टॉल करने के निर्देश देने के बाद उठे विवाद के बीच केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार (2 दिसंबर)को स्पष्ट किया कि यह ऐप पूरी तरह वैकल्पिक है और उपयोगकर्ता चाहें तो इसे कभी भी डिलीट कर सकते हैं। गोपनीयता संबंधी चिंताओं और निगरानी के आरोपों के बीच सरकार की यह सफाई निर्देशित आदेश में ऐप की किसी भी फ़ंक्शन को डिसेबल या सीमित नहीं किया जा सकता लिखे होने के बाद आई है।

संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में सिंधिया ने कहा कि संचार साथी न तो किसी प्रकार की जासूसी करता है और न ही कॉल मॉनिटरिंग करता है। उन्होंने दो टूक कहा, “अगर आप चाहें तो इसे एक्टिवेट करें, नहीं चाहें तो मत करें… और अगर आपको ऐप नहीं चाहिए तो इसे डिलीट कर दें। यह अनिवार्य नहीं है, पूरी तरह विकल्प है।” उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना था कि साइबर धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने वाले इस ऐप का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके।

दूरसंचार विभाग (DoT) ने एक दिन पहले ही सभी स्मार्टफ़ोन निर्माताओं को तीन महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए थे। नए फ़ोनों में संचार साथी प्री-इंस्टॉल करना, इसे उपयोगकर्ताओं के लिए स्पष्ट रूप से दिखाई और सुलभ रखना तथा फ़ंक्शन को सीमित न करना। इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि जिन फ़ोनों में ऐप पहले से मौजूद नहीं है, उन्हें सॉफ़्टवेयर अपडेट के ज़रिये यह ऐप भेजा जाएगा। सभी कंपनियों को इसे लागू करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है।

संचार साथी ऐप, जिसे जनवरी 2025 में लॉन्च किया गया था, चोरी हुए मोबाइल को ब्लॉक करने, आपके नाम पर कितने मोबाइल कनेक्शन सक्रिय हैं यह जांचने और संदिग्ध धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराने जैसी सुविधाएँ देता है। हालांकि इसका नया आदेश स्मार्टफ़ोन उद्योग और राजनीतिक दलों के बीच टकराव का कारण बन गया है।

विपक्ष ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसे नागरिकों की निजी स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बताया है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने इसे “स्नूपिंग ऐप” करार दिया, जबकि शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इसे “Big Boss surveillance moment” बताया।

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने तो इसकी तुलना सीधे पेगासस स्पाइवेयर से कर दी, जिसने 2022 में भारतीय राजनीति में बड़ा तूफ़ान खड़ा किया था। उन्होंने कहा, “यह पेगासस प्लस प्लस है… अब ‘Big Brother’ हमारे फ़ोन और हमारी पूरी निजी ज़िंदगी पर कब्ज़ा कर लेगा।”

सरकार की सफाई के बावजूद गोपनीयता, डेटा संग्रह और उपयोगकर्ता की सहमति को लेकर उठ रहे सवालों पर बहस और तेज हो गई है, और आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीतिक टकराव और बढ़ने की संभावना है।

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