सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार जबरदस्त गिरावट के साथ बंद हुआ। सेंसेक्स में करीब 930 अंकों की गिरावट देखी गई, जबकि निफ्टी 345 अंक फिसल गया। चौतरफा बिकवाली के बीच मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर सबसे अधिक दबाव देखा गया। वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता और अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ का असर घरेलू निवेश धारणा पर भी पड़ा।
कारोबार के अंत में सेंसेक्स 930 अंक या 1.22 प्रतिशत की गिरावट के साथ 75,364 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 345 अंक या 1.49 प्रतिशत टूटकर 22,904 पर आ गया। मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों की बात करें तो, निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 2.91 प्रतिशत गिरकर 50,645, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 3.57 प्रतिशत टूटकर 15,675 पर बंद हुआ।
सेक्टोरल फ्रंट पर, ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, फार्मा, मेटल, एनर्जी, इन्फ्रा और कमोडिटी जैसे लगभग सभी सेक्टर लाल निशान में बंद हुए। केवल फाइनेंशियल सर्विसेज और एफएमसीजी इंडेक्स ही हरे निशान में टिके रहे।
सेंसेक्स पैक के टॉप गेनर्स में बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी बैंक, नेस्ले, आईसीआईसीआई बैंक, एशियन पेंट्स और आईटीसी शामिल रहे। वहीं टॉप लूजर्स की सूची में टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, एलएंडटी, इंडसइंड बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टेक महिंद्रा, सन फार्मा और एचसीएल टेक शामिल थे।
जियोजित इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के रिसर्च प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि “अमेरिका द्वारा अनुमान से अधिक टैरिफ लगाए जाने से वैश्विक स्तर पर निवेशकों में असमंजस की स्थिति है। अमेरिकी बाजारों में भारी गिरावट के बाद निवेशक अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा कर रहे हैं।” नायर ने आगे बताया कि अमेरिका के खिलाफ संभावित जवाबी कार्रवाई की आशंका से अनिश्चितता और बढ़ गई है। इससे अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट दर्ज की गई है, जो संभावित आर्थिक मंदी का संकेत देती है।
गुरुवार को अमेरिकी बाजारों में भी जोरदार गिरावट देखने को मिली। डाओ 4 प्रतिशत और नैस्डैक 6 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुए। यह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ के बाद सामने आया, जिससे वैश्विक बाजारों की टेंशन और बढ़ गई है।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने 3 अप्रैल को लगातार चौथे दिन बिकवाली की और 2,806 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इसके विपरीत, घरेलू संस्थागत निवेशक (DII) लगातार पांचवें दिन शुद्ध खरीदार रहे और उन्होंने 221.47 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक वैश्विक अनिश्चितताएं और टैरिफ तनाव खत्म नहीं होते, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। निवेशकों को सतर्कता और लंबी अवधि के दृष्टिकोण से निर्णय लेने की सलाह दी जा रही है।
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