तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) संगठन को बड़ा झटका देते हुए उसके 37 भूमिगत कैडरों ने रविवार को आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया। आत्मसमर्पण करने वालों में तीन वरिष्ठ राज्य समिति सदस्य भी शामिल हैं, जबकि कुल 25 महिलाएँ भी संगठन छोड़कर सामने आईं। सभी ने तेलंगाना पुलिस महानिदेशक बी शिवधर रेड्डी के सामने आत्मसमर्पण किया और अपने साथ मौजूद आठ हथियार भी जमा करा दिए, जिनमें एक एके-47 राइफल और कई जिंदा कारतूस शामिल थे।
सरेंडर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा माओवादी गतिविधियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के संदर्भ में हाल के वर्षों का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। मीडिया को संबोधित करते हुए डीजीपी ने कहा कि इतने बड़े स्तर पर आत्मसमर्पण इस बात का संकेत है कि संगठन का ढांचा कमजोर हो चुका है और कैडर अब हिंसा की राह छोड़कर सामान्य जीवन अपनाने की इच्छा ज़ाहिर कर रहे हैं।
आत्मसमर्पण करने वाले तीन वरिष्ठ नेताओं में कोय्याडा संबाiah उर्फ आज़ाद शामिल हैं, जो मुलुगु जिले के रहने वाले हैं और पिछले 31 वर्षों से भूमिगत जीवन जी रहे थे। इनके अलावा अप्पासी नारायण उर्फ रमेश ने भी सरेंडर किया, जो पेड्डापल्ली जिले के हैं और 32 वर्षों तक जंगलों में सक्रिय रहे। तीसरे अहम नेता मुचकी सोमाड़ा उर्फ एरा हैं, जो सुकमा जिले से आते हैं और दंडकारण्य विशेष जोनल समिति में राज्य समिति सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। डीजीपी ने बताया कि हाल ही में राज्य सरकार द्वारा हिंसा छोड़कर समाज में लौटने की अपील, सुरक्षा बलों की लगातार दबाव बनाने वाली कार्रवाई, संगठन के भीतर बढ़ते वैचारिक मतभेद, आंतरिक कलह और सीमित गतिशीलता जैसी परिस्थितियों ने मिलकर इस सामूहिक निर्णय को प्रभावित किया।
सरकार ने राज्य समिति सदस्यों को 20-20 लाख रुपये का इनाम प्रदान किया है, जबकि कुल 1 करोड़ 41 लाख 5 हज़ार रुपये का पुरस्कार राशि चेक और डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से सौंप दी गई। अधिकारियों का कहना है कि आगे भी पुनर्वास के तहत आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश से माओवादी उग्रवाद को समाप्त करने का लक्ष्य तय किया है और इस दिशा में विभिन्न राज्यों में बड़े पैमाने पर अभियान जारी है। बीते कुछ महीनों में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मुठभेड़ों में सैकड़ों माओवादी मारे गए हैं, जबकि कई महत्वपूर्ण कैडर और कमांडर संगठन से अलग होकर सरेंडर कर रहे हैं। तेलंगाना में भी हाल के महीनों में कई हाई-प्रोफाइल माओवादी नेताओं ने आत्मसमर्पण किया है, जिससे स्पष्ट है कि संगठन लगातार कमजोर पड़ रहा है और सुरक्षा बलों का दबदबा बढ़ा है।
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