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Monday, May 19, 2025
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वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले में आरोपी की याचिका पर फैसला रखा सुरक्षित!

समय भारत सरकार के कथित दबाव में इटली की तत्कालीन सरकार ने मुकदमे से जुड़े बयान और फैसले को सार्वजनिक नहीं किया।

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दिल्ली हाई कोर्ट ने बहुचर्चित अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की उस याचिका पर शुक्रवार(9 मई) को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें उसने अपनी जमानत की शर्तों में ढील देने की गुहार लगाई थी।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट में तीखा रुख अपनाते हुए कहा कि अगर मिशेल कोई स्थानीय जमानती नहीं देता है, तो भारत में उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने का कोई भरोसेमंद जरिया नहीं रहेगा। ईडी ने यह भी तर्क दिया कि मिशेल का शर्तों में संशोधन मांगना इस बात को स्वीकार करने के समान है कि वह फिलहाल भारत सरकार की हिरासत में है। एजेंसी ने अदालत को यह भी याद दिलाया कि पहले भी जब किसी आरोपी को स्थानीय जमानती से छूट दी गई थी, तब भी उसका पासपोर्ट जब्त करना अनिवार्य ठहराया गया था।

मिशेल की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि उनका मुवक्किल दुबई में चार महीने से अधिक समय तक हिरासत में रहा और अब तक भारत में 6 साल 9 महीने की सजा भुगत चुका है। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि मिशेल की जमानत की शर्तों को मानवीय दृष्टिकोण से देखा जाए।

उल्लेखनीय है कि मिशेल को दिल्ली हाई कोर्ट ने 4 मार्च 2025 को जमानत दी थी। इससे पूर्व 18 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में उन्हें राहत दी थी। मिशेल के अलावा इस केस में राजीव सक्सेना, अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल के डायरेक्टर और वायुसेना के पूर्व प्रमुख एसपी त्यागी के रिश्तेदार संदीप त्यागी सहित कुल 13 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

यह मामला यूपीए-2 सरकार के कार्यकाल के दौरान 3,600 करोड़ रुपये की लागत से फिनमैकेनिका की सहयोगी कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर की खरीद से जुड़ा है। आरोप है कि इस सौदे में राजनेताओं, बिचौलियों और रक्षा अधिकारियों को भारी रिश्वत दी गई थी।

गौरतलब है कि 2013 में इटली की एक अदालत ने इस सौदे से जुड़े चार लोगों को दोषी करार दिया था, जिनमें एक हाई-प्रोफाइल रक्षा कंपनी के सीईओ और दो बिचौलिए शामिल थे। लेकिन उस समय भारत सरकार के कथित दबाव में इटली की तत्कालीन सरकार ने मुकदमे से जुड़े बयान और फैसले को सार्वजनिक नहीं किया। यदि ये विवरण सार्वजनिक होते, तो भारत के राजनीतिक और नौकरशाही गलियारों में हलचल मचना तय था।

अब इस मामले में अगला कदम दिल्ली हाई कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा, जिससे मिशेल की कानूनी स्थिति और जांच की दिशा तय हो सकती है।

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