मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कस्टम के अधिकारियों द्वारा गूगल पे यानी जी पे के जरिए वसूली के मामले की जांच कर रही सीबीआई ने तीन और एफआईआर दर्ज की है। अहम बात यह है कि सीबीआई द्वारा दर्ज इन तीनों मामलों में कस्टम सुप्रिटेंडेंट और एयरपोर्ट पर मौजूद लोडर के सिंडिकेट की भूमिका सामने आई है।
सीबीआई की जांच में पता चला है कि कस्टम अधिकारी विदेश से आने वाले हवाई यात्रियों को डरा धमका और उनके पासपोर्ट छीन कर फर्जी मामले में फंसाने की धमकी देते थे। कार्रवाई से बचने के लिए यात्रियों से रिश्वत मांगी जाती थी और रिश्वत की रकम एयरपोर्ट पर कार्यरत लोडर के गूगल पे खाते में भेजने के लिए कहा जाता था।
सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों की माने तो हाल के दिनों में एक के बाद एक की गई इन कार्रवाई में अपराध का जो तरीका सामने आया है उससे साफ पता चलता है कि यह एक सिंडिकेट है जो अपने एक्सटॉर्शन कारोबार को किसी कॉरपोरेट बिजनेस की तरह चला रहा है। आशंका है कि इसका मास्टर माईंड कस्टम विभाग से ही हो सकता है। सीबीआई ने बीते 10 मार्च को मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जी-पे एक्सटोर्शन के जो तीन नए मामले दर्ज किए हैं उसमे 2 मामलों में एयर कस्टम सुप्रिटेंडेंट आलोक कुमार मुख्य आरोपी है। आलोक फिलहाल इस मामले में जमानत पर है।
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