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Tuesday, December 9, 2025
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सुकमा में नक्सलियों द्वारा बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण: सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता!

आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ शासन की ‘नक्सलवादी आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति 2025’ और ‘नियद नेल्ला नार’ योजना से प्रेरित होकर किया गया है।

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नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में सुरक्षा बलों को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। शुक्रवार(18 अप्रैल) को घने जंगलों में चलाए गए एक संयुक्त ऑपरेशन के दौरान 22 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें 9 महिलाएं और 13 पुरुष शामिल हैं। यह आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ शासन की ‘नक्सलवादी आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति 2025’ और ‘नियद नेल्ला नार’ योजना से प्रेरित होकर किया गया है। आत्मसमर्पण करने वालों में कई इनामी नक्सली भी शामिल हैं। कुल मिलाकर इन पर ₹40 लाख 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था।

इस ऑपरेशन में सुकमा और जगदलपुर डीआईजी कार्यालयों के साथ-साथ CRPF की 2, 74, 131, 217, 219, 223, 226, 227, 241 और कोबरा 203 बटालियनों की भूमिका अहम रही। जिला बल, डीआरजी और रेंज फील्ड टीम कोंटा की विशेष भागीदारी भी इस सफलता में रही।

सुकमा जिले में आत्मसमर्पण करने वाले 22 नक्सलियों में कई इनामी नक्सली भी शामिल हैं, जिन पर बड़ी राशि के इनाम घोषित थे। आत्मसमर्पण करने वालों में एक पुरुष और एक महिला नक्सली ऐसे हैं जिन पर सरकार ने ₹8-8 लाख का इनाम घोषित किया था। इसके अलावा एक अन्य पुरुष और एक महिला नक्सली पर ₹5-5 लाख का इनाम था।

इसी तरह दो पुरुष और पांच महिला नक्सलियों पर ₹2-2 लाख का इनाम घोषित था। वहीं, एक पुरुष नक्सली पर ₹50 हजार का इनाम रखा गया था। इस प्रकार, आत्मसमर्पण करने वाले इन सभी नक्सलियों पर कुल मिलाकर ₹40 लाख 50 हजार की इनामी राशि घोषित थी, जो इस ऑपरेशन को और भी महत्वपूर्ण बनाती है।

सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को राज्य सरकार द्वारा ₹50,000 की प्रोत्साहन राशि, कपड़े और अन्य जरूरी सहायता प्रदान की गई है। सरकार की योजना के अनुसार, इन सभी को पुनर्वास, सुरक्षा और रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए जाएंगे। यह 8 अप्रैल को बीजापुर में 22 नक्सलियों के आत्मसमर्पण के बाद यह दूसरा बड़ा घटनाक्रम है। बीजापुर में आत्मसमर्पित नक्सलियों पर ₹26 लाख का इनाम था।

राज्य सरकार की नीतियों का उद्देश्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाल करना, आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना और विकास को गति देना है। इस दिशा में आत्मसमर्पण की घटनाएं सकारात्मक संकेत के तौर पर देखी जा रही हैं।

सुकमा में हुआ यह सामूहिक आत्मसमर्पण न केवल सुरक्षा बलों की रणनीति की सफलता को दर्शाता है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि नक्सलवादी विचारधारा से प्रभावित लोग अब मुख्यधारा में लौटने के लिए तैयार हैं। सरकार की नीतियों और सुरक्षा एजेंसियों के समन्वित प्रयासों से क्षेत्र में शांति स्थापना की दिशा में एक और ठोस कदम बढ़ाया गया है।

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