भारत की सनातन ज्ञान परंपरा और सांस्कृतिक समृद्धि को एक बार फिर वैश्विक मंच पर मान्यता मिली है। यूनेस्को ने भारत के दो महान ग्रंथ – श्रीमद्भगवद गीता और भरतमुनि का नाट्यशास्त्र – को ‘Memory of the World’ रजिस्टर में शामिल कर लिया है। यह रजिस्टर उन दस्तावेजों को संरक्षित करने का वैश्विक प्रयास है, जो मानव सभ्यता के इतिहास में अमूल्य योगदान रखते हैं।
इस महत्वपूर्ण घोषणा की जानकारी संस्कृति मंत्रालय ने 18 अप्रैल को सोशल मीडिया पर साझा की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “हर भारतीय के लिए यह गर्व का क्षण है। गीता और नाट्यशास्त्र का यूनेस्को की Memory of the World रजिस्टर में शामिल होना, हमारी सनातन ज्ञान परंपरा और सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक मान्यता है। इन ग्रंथों की शिक्षाएं सदियों से सभ्यता और चेतना को प्रेरणा देती आई हैं और आगे भी देती रहेंगी।”
श्रीमद्भगवद गीता, महाभारत का एक भाग है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ संवाद न केवल युद्धभूमि का नैतिक निर्णय प्रस्तुत करता है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में आत्मबोध और कर्तव्य का गहन मार्गदर्शन करता है। यह ग्रंथ विश्व भर में आध्यात्मिकता और दर्शन का प्रतीक बन चुका है।
A Proud Moment for Bharat!
On the eve of #WorldHeritageDay, @UNESCO has inscribed Shrimad Bhagwat Gita & Bharat Muni’s Natyashastra into the Memory of the World Register. (1/2)#IndianHeritage #CultureUnitesAll pic.twitter.com/VxI2X2XSGn
— Ministry of Culture (@MinOfCultureGoI) April 18, 2025
वहीं, नाट्यशास्त्र, जो कि ऋषि भरतमुनि द्वारा रचित है, भारतीय रंगमंच, नृत्य, संगीत और अभिनय की सबसे प्राचीन और विस्तृत गाइड है। इसमें कला के हर आयाम का वर्णन किया गया है और यह आज भी भारतीय परंपरागत कला रूपों का मूल आधार है।
यूनेस्को द्वारा इन ग्रंथों को ‘Memory of the World’ रजिस्टर में शामिल किया जाना, न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत का सम्मान है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रासंगिकता आज भी पूरे विश्व के लिए मार्गदर्शक है। यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों को न केवल प्रेरित करेगी, बल्कि पूरी दुनिया को एक नई दिशा भी दिखाएगी।
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