यमन के पश्चिमी तट पर स्थित रास ईसा ईंधन बंदरगाह पर अमेरिकी हवाई हमलों में कम से कम 38 लोगों की मौत हो गई, जबकि 102 से अधिक लोग घायल हो गए। यह हमला ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों को कमजोर करने के उद्देश्य से किया गया, जो अमेरिका की अब तक की सबसे घातक कार्रवाई मानी जा रही है।
अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि इसका मकसद हूती समूह की आर्थिक ताकत को नुकसान पहुंचाना था। एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जारी एक पोस्ट में कहा गया, “हूती विद्रोही अपने ही देशवासियों का शोषण कर रहे हैं। इन हमलों का उद्देश्य उनकी शक्ति के आर्थिक स्रोत को खत्म करना है।”
हूती समूह द्वारा संचालित अल मसीरा टीवी ने जानकारी दी कि यह हमला गुरुवार को रास ईसा बंदरगाह पर हुआ। चैनल के अनुसार, हमले में 102 लोग घायल भी हुए हैं। यह चैनल लगातार अमेरिकी कार्रवाई की निंदा करता आया है।
बता दें की, जनवरी 2025 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फिर से पदभार संभालने के बाद से अमेरिका ने मध्य पूर्व में सैन्य कार्रवाई तेज कर दी है। विशेषकर लाल सागर में व्यापारिक जहाजों पर हमलों के जवाब में अमेरिका ने यह अभियान चलाया है। वाशिंगटन का कहना है कि जब तक हूती विद्रोही अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग में खतरा बने रहेंगे, तब तक ये कार्रवाई जारी रहेगी।
नवंबर 2023 से हूती विद्रोही गाजा युद्ध के समर्थन में इजरायल से जुड़े जहाजों को निशाना बना रहे हैं। वे अब तक दर्जनों ड्रोन और मिसाइल हमले कर चुके हैं। हालांकि, गाजा में दो महीने के संघर्षविराम के दौरान उन्होंने अपनी कार्रवाई रोक दी थी। लेकिन जैसे ही इजरायल ने गाजा पर दोबारा हमला शुरू किया, हूती विद्रोहियों ने भी फिर से हमले शुरू करने की चेतावनी दी। 2014 में शुरू हुए गृहयुद्ध के बाद से हूती विद्रोहियों ने उत्तरी यमन के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है। ईरान समर्थित यह समूह लंबे समय से सऊदी अरब समर्थित सरकार के खिलाफ संघर्षरत है।
अमेरिका की यह कार्रवाई न केवल हूती विद्रोहियों के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि यह यमन में पहले से चल रहे मानवीय संकट को और भी गहरा कर सकती है। फिलहाल हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं और इस संघर्ष के और गहराने की आशंका जताई जा रही है।
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