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Wednesday, December 24, 2025
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हत्या के आरोप के बीच जमानत पर बाहर आए सुशील कुमार ने रेलवे में फिर से शुरू की ड्यूटी!

लौटने को लेकर रेलवे प्रशासन ने कहा कि यह रेलवे सेवा नियमों के तहत किया गया कदम है।

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दो बार के ओलंपिक पदक विजेता और भारत के सबसे चर्चित पहलवानों में से एक सुशील कुमार ने हत्या के एक हाई-प्रोफाइल मामले में जमानत मिलने के बाद उत्तर रेलवे में अपनी सरकारी ड्यूटी दोबारा शुरू कर दी है। रेलवे के सूत्रों ने समाचार एजेंसी को इसकी पुष्टि की है। सुशील कुमार फिलहाल उत्तर रेलवे में सीनियर कमर्शियल मैनेजर के पद पर तैनात हैं, इस सप्ताह की शुरुआत में फॉर्मल ड्रेस में ऑफिस पहुंचे और अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। उनके लौटने को लेकर रेलवे प्रशासन ने कहा कि यह रेलवे सेवा नियमों के तहत किया गया कदम है।

सुशील कुमार को मई 2021 में साथी पहलवान सागर धनखड़ की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह न्यायिक हिरासत में थे। इस केस ने पूरे देश में सनसनी मचा दी थी। हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने लंबी कानूनी देरी का हवाला देते हुए उन्हें जमानत दी है। हालांकि, कोर्ट में मुकदमा अभी भी चल रहा है और जांच एजेंसियां सक्रिय हैं, इसलिए कानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

सुशील कुमार की वापसी पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। एक ओर कई लोगों ने हत्या के आरोपी की सरकारी नौकरी पर वापसी को लेकर नैतिक सवाल उठाए, वहीं कुछ का मानना है कि जब तक दोष सिद्ध न हो, किसी भी व्यक्ति को उसका कानूनी और पेशेवर अधिकार मिलना चाहिए। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “उनकी बहाली पूरी तरह नियमों के अनुसार हुई है।”

बीजिंग ओलंपिक 2008 में कांस्य और लंदन ओलंपिक 2012 में रजत पदक जीतकर भारत का नाम ऊंचा करने वाले सुशील कुमार कभी भारतीय कुश्ती का चेहरा माने जाते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनका नाम एक हत्या के आरोपी के रूप में सामने आया — जिसने न केवल उनकी प्रतिष्ठा पर गहरा असर डाला, बल्कि कुश्ती प्रेमियों को भी स्तब्ध कर दिया।

फिलहाल, सुशील कुमार मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं और ऐसा लग रहा है कि वह शांति से अपनी सामान्य ज़िंदगी में लौटने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, कानूनी कार्यवाही के चलते उनका जीवन अभी भी पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाया है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आरोपित किन परिस्थितियों में और किस हद तक अपने पुराने पदों पर बहाल हो सकते हैं। जब तक अदालत अंतिम फैसला नहीं सुनाती, सुशील कुमार की यह वापसी सामाजिक और नैतिक बहस का विषय बनी रहेगी।

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