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Monday, November 11, 2024
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आदित्य के बोल में पोल, कोंकण की ये है हकीकत

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महाराष्ट्र में सियासी घमासान अब भी जारी है, आदित्य ठाकरे और वैकल्पिक रूप से पूरा ठाकरे समूह शिवसेना के नाम और धनुष- तीर के प्रतीक को खोने के बाद संघर्ष कर रहा है, ठाकरे गुट के नेता व स्वयं आदित्य ठाकरे विभिन्न यात्राओं के माध्यम से जिले- जिले में जाकर अपने जत्थे को नई गति प्रदान कर रहे हैं।

वहीं इसी बीच ठाकरे पिता और पुत्र अलग-अलग नामों से महाराष्ट्र की यात्रा करके पार्टी की किस्मत बदलने और अपनी किस्मत बदलने की कोशिश कर रहे हैं। शिवसंवाद यात्रा पूरी करने के बाद आदित्य ठाकरे फिलहाल शिवगर्जन यात्रा निकाल रहे हैं। आदित्य ठाकरे ने कहा कि शिवसेना के विधायक वापसी का रास्ता तलाश रहे हैं। यह गोरेगांव के छत्रपति शिवाजी स्टेडियम में आयोजित शिवगर्जन सभा में हो रहा था। इस सभा में बोलते हुए आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके साथी विधायकों पर हमला बोला। इस तरह की घोषणा होते ही इनकी स्वयं की पार्टी का पर्दाफाश हो जाता है।

आदित्य ठाकरे ने शिवसंवाद यात्रा निकाली और पार्टी ने ग्राम पंचायत चुनाव में जीत हासिल की। वह इस समय शिवगर्जन यात्रा पर हैं। गोरेगांव में हुई एक सभा में उन्होंने दावा किया कि उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से ही महाराष्ट्र में अंधेरा छा गया है।

आदित्य ठाकरे को लगता है कि उद्धव ठाकरे लगातार अपने पिता की तारीफ करते रहते हैं, इसलिए मुझे भी अपने पिता की तारीफ करनी चाहिए। लेकिन शायद आदित्य ठाकरे यह भूल गए है कि उद्धव ठाकरे के पिता शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे थे और आपके पिता उद्धव ठाकरे हैं।

आदित्य का कहना है कि उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र को आगे ले जा रहे थे। लेकिन देखते ही देखते अपनों ने ही उनके पीठ में खंजर घुसा दिया। इसलिए आदित्य ठाकरे ने कहा है कि महाराष्ट्र में आज अंधेरा है। हालांकि उन्हें पहले यह स्पष्ट करना चाहिए कि उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र को किस दिशा में आगे ले जा रहे हैं।

मेट्रो कार शेड से लेकर बुलेट ट्रेन और रत्नागिरी रिफाइनरी से लेकर बंदरगाह के विस्तार तक, उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र को बंगाल पैटर्न की ओर ले जा रहे थे। यह दिशा सर्वनाश करने वाली थी। जनता का मत है कि महाराष्ट्र की सरकार गिर गई और महाराष्ट्र पूर्ण विनाश से पहले ही बच गया।

हर सभा में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके साथियों को आदित्य ठाकरे भ्रष्टाचार का नाम देते है। सीएम का मतलब होता है भ्रष्ट आदमी उन्होंने गद्दारों के साथ मिलकर इस एक नए शब्द की खोज की। ऐसे शब्द खोजने के लिए, 50 खोके ठीक हैं…हमें पूरा संदेह है कि आदित्य ने इस तरह के नारे लगाने के लिए एक आदमी को मोटी तनख्वाह पर रखा है। बुजुर्ग नए करोड़ों की तलाश में हैं और चिरंजीव नए घोटालों और नारों की तलाश में हैं।

हालांकि एकनाथ शिंदे के बारे में बात करने के बजाय, अगर उन्होंने अपने ढाई साल के महाविकास आघाड़ी कार्यकाल और 25 साल के नगर निगम कार्यकाल के दौरान मुंबई और महाराष्ट्र के लिए जो कुछ किया, वह लोगों को बता देते तो सही रहता। आदित्य ठाकरे के पास अविश्वसनीय और कई ऐसे दावे है जो काफी हास्यप्रद है। हालांकि इसमें कोई दो राय नहीं है कि उनकी आज यह स्थिति स्वयं उनकी वजह से ही है।

क्या साहब हमें वापस ले जाएंगे? शिवसेना के विधायक यह सवाल पूछ रहे हैं। आदित्य का दावा है कि वे हमसे रिक्वेस्ट कर रहे हैं कि हम विश्वासघाती नहीं हम गद्दार नहीं है। कौन विश्वास करेगा कि मातोश्री में ठाकरे पिता-पुत्र नए लोगों के कलाई पर धागा बांधकर उनका स्वागत करते है। और वहीं लोग शिवसेना के विधायकों से कहते है, ‘देशद्रोही, जहां हो वहीं रहो, यहां मत आना’?

अगर आदित्य ठाकरे का दावा सही है तो उन्हें चार नामों का जिक्र करना चाहिए था। अकेले एकनाथ शिंदे, जो महाराष्ट्र में सत्ता का प्रयोग कर रहे हैं, उन्हें अच्छे से पता है कि कौन अपना नाम और निशानी खोकर पार्टी से विचलित होकर अपना चेहरा बचाना चाहता है। आदित्य ठाकरे निश्चित रूप से इतने बड़े दिल वाले नहीं हैं कि उन विधायकों के नाम छुपाएं।
आदित्य ठाकरे जहां शिवसेना के विधायकों की बात कर रहे हैं, तो वहीं कोंकण में फिर अलग ही रणनीति शुरू हो गई है। एकनाथ शिंदे ने पार्टी छोड़ दी, लेकिन कोंकण में इसका ज्यादा असर नहीं हुआ। अधिकांश पदाधिकारी अभी भी ठाकरे के पक्ष में हैं। हालांकि बाहर से देखने में यह भले ही ठीक लगे लेकिन अंदर से अस्त-व्यस्त नजर आ रहा है। कुडाल विधायक वैभव नाईक को सिंधुदुर्ग के जिलाध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। पार्टी सचिव विनायक राउत ने यह कार्रवाई की है।

सिंधुदुर्ग में इस बात की जोरदार चर्चा है कि नाइक फिलहाल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के संपर्क में हैं। कयास लगाया जा रहा है कि वे कभी भी एकनाथ शिंदे की पार्टी में शामिल हो सकते है। हालांकि, वैभव नाइक ने बयान दिया है कि उन्होंने पार्टी के विकास के लिए जिला प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया है। यह कथन काफी हास्यप्रद है।

यदि नाईक को पार्टी के विकास के लिए जिला प्रमुख के पद से हटा दिया गया , तो वह उस पद पर रहते हुए भी क्या ही कर हे थे? ऐसा सवाल किसी के भी मन में उठ सकता है। जिला प्रमुख पार्टी के विकास के लिए काम नहीं करते हैं, तो वे वास्तव में करते क्या हैं? वैभव नाइक की जगह पर विनायक राऊत ने संजय पडते, संदेश पारकर और सतीश सावंत इन तीनों को नियुक्त किया है। इससे यह तो पता चल गया कि वैभव नाइक अकेले तीन लोगों का काम कर रहे थे।
कई लोगों का यह भी दृढ़ विश्वास है कि वैभव नाइक केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के कट्टर विरोधी हैं, इसलिए उनके भाजपा या शिवसेना में शामिल होने की संभावना बहुत कम है। वैभव नाइक रहें या बाहर जाएं, लेकिन एक बात तो तय है कि कोंकण में बहुत कुछ चल रहा है। एक जिले के लिए तीन जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की जानी है। उन्हें एक-एक सूबा देना होगा।

उद्धव गुट को निराश पदाधिकारियों को मनाने, उन्हें पार्टी में बनाए रखने के प्रयास करने पड रहे है। क्योंकि शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे की पार्टी में सब कुछ सही नहीं है। इसलिए आदित्य ठाकरे का यह दावा कि शिवसेना के विधायक हंगामा कर रहे हैं और शिवसेना बालासाहेब ठाकरे की पार्टी में आने का अनुरोध कर रहे हैं, हास्यास्पद लगता है। फिलहाल उन्हें इन सब मुद्दों से हटकर पहले अपनी पार्टी की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए वरना जो हैं वह भी खत्म हो जाएगा।

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