दशकों बाद बदल रही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की फिजा

एक देश, एक संविधान, एक निशान, एक बाजार

दशकों बाद बदल रही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की फिजा

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जम्मू-कश्मीर एकमात्र राज्य है, जहां सभी नागरिकों को ‘आयुष्मान योजना-सेहत’ के तहत 5 लाख रु. के मुफ्त इलाज की सुविधा मिली है, 7500 करोड़ रु. की लागत से सूबे में 2 एम्स, 7 मेडिकल कॉलेज, 5 नर्सिंग कॉलेज, 2 स्टेट कैंसर संस्थान बनाने की शुरुआत हो चुकी है। स्वास्थ्य ढांचा बनाने के लिए स्वास्थ्य निवेश नीति, दवाई नीति और नशा मुक्ति की नीति को मंजूरी दी जा चुकी है.मेडिकल शिक्षा के लिए 1617 सीटें नई जोड़ी गई है। एमबीबीएस सीट की संख्या 500 से बढ़कर 1100 की गई है और अन्य जुड़े पाठ्यक्रम में भी सीटें बढ़ी है, 881 करोड़ रु. की लागत से पहले से मौजूद स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किया जा रहा है जो अगले साल मार्च तक पूरी होगी। जम्मू-कश्मीर-लद्दाख के इतिहास में पहली बार ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव में 98 फीसदी से अधिक वोटिंग इसका परिचायक है,जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को लाकर लोगों की आकांक्षाओं को नया अवसर दिया जा रहा है, ताकि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की अपनी महान विरासत को सशक्त किया जा सके।

महिलाओं और बच्चों को को अधिकार वापस मिले हैं जो पहले राज्य से बाहर शादी करने पर छिन जाते थे, इंफ्रास्ट्रक्चर में भी नए जम्मू कश्मीर और लद्दाख के कदम तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं. बीते दो साल में इसको लेकर कैसे तेज़ी आई है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण हाइड्रोपावर है। सात दशकों में जम्मू कश्मीर में साढ़े 3 हजार मेगावॉट बिजली की क्षमता तैयार हुई थी. पर अब इसमें 3 हजार मेगावाट की क्षमता और जोड़ी जा चुकी है. लंबे समय से अटकी परियोजनाओं में तेजी आई है तो चिनाब पर बन रहे दुनिया के सबसे ऊंचे और बेहतरीन रेलवे ब्रिज हर भारतीय को गौरवान्वित कर रहा है. किसी भी राष्ट्र में कनेक्टिविटी जब बेहतर होती है, तो इससे पर्यटन और उद्योग दोनों को बल मिलता है. कालीन से लेकर केसर तक, सेब से लेकर बासमती तक जम्मू कश्मीर की महक पूरे देश में फैल रही है। नए कृषि सुधारों ने जम्मू में भी और घाटी में भी, दोनों जगह फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए नए अवसर बना दिए हैं, इससे हज़ारों लोगों को, रोज़गार और स्वरोजगार का अवसर मिल रहा है, जम्मू-कश्मीर-लद्दाख में जहां एक तरफ हज़ारों सरकारी नौकरियां नोटिफाई की जा रही हैं, स्वरोजगार के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं. बैंकों के ज़रिए अब जम्मू कश्मीर के नौजवान कारोबारियों को आसानी से लोन मिलना शुरु हुआ है।

पर्यटन उद्योग फिर चमक रहा है, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में उन जगहों की पहचान की जा रही है, जो टॉप के टूरिज्म डेस्टिनेशन बन सकते हैं. हिमालय की 137 पर्वत चोटियां विदेशी पर्यटकों के लिए खोली गई हैं, जिनमें 15 चोटियां जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की हैं. लद्दाख में बौद्ध अध्ययन केंद्र के साथ पहले केंद्रीय विवि की योजना को आकार दिया जा रहा है. लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने की लंबे समय से लंबित मांग को भी पूरा किया गया है और लद्दाख प्रगति की राह पर है। प्रधानमंत्री विकास पैकेज से जहां जून 2018 तक सिर्फ 26 फीसदी खर्च हुए थे, वहां जून 2021 में 62 फीसदी खर्च हुआ, जो सिर्फ बदलाव ही नहीं विकास की गति को भी दिखाता है. पहली बार जम्मू कश्मीर के गरीब सामान्य वर्ग, पहाड़ी लोगों, नियंत्रण रेखा के निकट सीमा पर रहने वाले लोगों को आरक्षण का लाभ मिला है.गुज्जर बकरवाल, अनुसूचित जनजातियों और पारंपरिक रूप से जंगलों के आसपास रहने वालों को जंगल की जमीन के इस्तेमाल का कानूनी अधिकार मिला है. अब किसी के साथ भी भेदभाव की गुंजाइश नहीं है. जम्मू कश्मीर में दशकों से रह रहे लोगों को स्थायी निवासी प्रमाण पत्र भी दिए जा रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के ‘इंसानियत, जम्‍हूरियत और कश्मीरियत’ के सिद्धांत को आत्मसात कर केंद्र सरकार आगे बढ़ रही है. लद्दाख को एक कार्बन-मुक्‍त केन्‍द्रशासित प्रदेश के रूप में विकसित करने की दिशा में काम तेजी से चल रहा है।

अब पूरे देश के लिए एक ही संविधान है, सभी 890 केंद्रीय कानून अब जम्मू-कश्मीर-लद्दाख में लागू हो चुके हैं और पहले से चल रहे अन्याय-भेदभावपूर्ण 205 कानून निरस्त. अब कर्मचारियों के हितों की रक्षा कर रहा है केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) तो बेहतर निरीक्षण के साथ प्रशासन और जवाबदेही के लिए केंद्रीय सूचना आयोग, केंद्रीय सतर्कता आयोग काम कर रहा है. सभी भेदभावपूर्ण और अन्यायपूर्ण राज्य कानूनों को निरस्त या संशोधित किया गया है. एससी-एसटी, वनवासियों, किशोर और वृद्धों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय कानून लागू किए गए हैं। करीब 1327 करोड़ रु. की लागत से दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब रेलवे ब्रिज 2022 तक बनकर तैयार होगा. उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक प्रोजेक्ट के तहत बन रहे चिनाब ब्रिज की ऊंचाई एफिल टावर और कुतुबमीनार से अधिक है. 359 मीटर ऊंचे इस ब्रिज के आर्क बनाने का काम पूरा हो चुका है. जम्मू-श्रीनगर-लद्दाख राष्ट्रीय राजमार्ग में 3127 करोड़ रु. की लागत से बने करीब 8 किमी से अधिक लंबे ट्विन ट्यूब वाले काजीगुंड-बनिहाल टनल का काम पूरा हो चुका है। कश्मीर को लद्दाख से जोड़ने वाले रास्ते में सोनमर्ग-गगनगिर के बीच 2378 करोड़ रु. की लागत से 6.5 किमी लंबी जे मोड़ टनल का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है जो दिसंबर 2023 तक पूरा होगा. 10 हजार करोड़ रु. से अधिक की लागत से जम्मू और कश्मीर में लाइट मेट्रो रेल ट्रांजिट एलिवेटेड कॉरीडोर की योजना मार्च 2025 तक पूरी होगी। यह बात सही है कि अनुच्छेद 370 से आजादी के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नई इबारत लिखने को तैयार है।

 

 

 

 

 

 

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