अमेरीकी मीडिया बांग्लादेश की बाढ़ परिस्थिती में फैला रहा झूठ; भारत के विदेश मंत्रालय ने किया खुलासा!

महज 40,000 क्यूसेक पानी को फरक्का नहर में मोड़ने की एक संरचना है, जिसे मुख्य गंगा/पद्मा नदी पर गेटों की एक प्रणाली का उपयोग करके सावधानीपूर्वक किया जाता है, जबकि शेष पानी बांग्लादेश की मुख्य नदी में बह जाता है।

अमेरीकी मीडिया बांग्लादेश की बाढ़ परिस्थिती में फैला रहा झूठ; भारत के विदेश मंत्रालय ने किया खुलासा!

American media spreading lies about Bangladesh flood situation; India's Foreign Ministry made the disclosure!

अमेरिकी मिडिया विश्वभर में प्रोपोगेंडा और डिसइंफॉर्मेशन फ़ैलाने के लिए जाना जाता है। साथ ही बांग्लादेश में हुए तख्तापलट में भी ‘अमेरिकी मीडिया और सीआईए का हाथ था’ ऐसा आरोप भी बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना लगा चुकी है। ऐसे में बाढ़ परिस्थिती के दरम्यान भी अमेरिकी न्यूज़ एजेंसी सीएनएन बांग्लादेश बाढ़ में झूठ फ़ैलाते और बांग्लादेश में भारतीय हित संबंधो पर हमला करते नजर आरही है।

सीएनएन की रिपोर्टर ने बांग्लादेश में आई बाढ़ पर कहा है की ‘रिपोर्ट के अनुसार सीमारेखा के भीतर भारत में नदी पर लगे लिए बांध के दरवाजे खोले गए है जिस वजह से यह बाढ़ आई है।’ जबकि बांग्लादेश में ऐसी रिपोर्ट्स केवल भारत के हितसंबन्धों को ख़राब करने वाली संस्थाएं और माध्यम फैला रहें है। इससे साफ़ होता है की सीएनएन रिपोर्ट्स की आड़ में भारत-बांग्लादेश के लोगों के हितसंबंध ख़राब करने की कोशिश कर रहा है।

वहीं भारत के विदेश मंत्रायल ने ऐसी भ्रामक जानकारी फ़ैलाने पर खेद जताते हुए, बांग्लादेश में आयी बाढ़ परिस्थिती पर खुलासा किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है,

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“हमने फरक्का बैराज के गेट खुलने की मीडिया रिपोर्टें देखी हैं, जिससे नदी के प्राकृतिक प्रवाह में 11 लाख क्यूसेक से अधिक पानी गंगा/पद्म नदी में प्रवाहित हो सकेगा। यह एक सामान्य मौसमी विकास है जो गंगा नदी बेसिन के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा से बढ़े प्रवाह के कारण होता है। यह समझने की बात है कि फरक्का सिर्फ एक बैराज है, कोई बांध नहीं। जब भी पानी का स्तर तालाब के स्तर तक पहुंचता है, तो जो भी प्रवाह आता है वह गुजर जाता है। यह महज 40,000 क्यूसेक पानी को फरक्का नहर में मोड़ने की एक संरचना है, जिसे मुख्य गंगा/पद्मा नदी पर गेटों की एक प्रणाली का उपयोग करके सावधानीपूर्वक किया जाता है, जबकि शेष पानी बांग्लादेश की मुख्य नदी में बह जाता है।प्रोटोकॉल के अनुसार डेटा, बांग्लादेश में संबंधित संयुक्त नदी आयोग के अधिकारियों के साथ नियमित और समय पर साझा किया जाता है। इस बार भी ऐसा ही किया गया है। हमने गलतफहमी पैदा करने के लिए फर्जी वीडियो, अफवाहें और डर फैलाते देखा है। इसका तथ्यों के साथ दृढ़ता से प्रतिवाद किया जाना चाहिए।”

विदेश मंत्रालय द्वारा अहम् खुलासे के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने सीएनएन की रिपोर्टर्स को ट्रोल करना शुरु किया है। लोगों ने इतने बड़े मीडिया हॉउस के पास सामन्य जानकारी का आभाव होने के लिए उनकी विश्वसनीयता और इरादों पर प्रश्नचिन्ह उठाया है।

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