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Friday, September 20, 2024
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पूर्वोत्तर में विकास तो 2024 में क्या होगा मुद्दा?

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पूर्वोत्तर के तीन राज्य त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड का परिणाम गुरुवार को आ गया। जिसमें दो राज्यों त्रिपुरा और नागालैंड में बीजेपी की सरकार बनी तय है। सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों राज्यों में लगातार दूसरी बार बीजेपी की सरकार होगी या, अपने सहयोगियों के साथ सरकार में होगी। हालांकि, मेघालय में फंसे पेंच में देखना होगा कि यहां की सत्ता पर कौन पार्टी काबिज होती है। मेघालय को छोड़ दे तो अन्य दो राज्यों में बीजेपी को वोट शेयर में जबरदस्त इजाफा हुआ है।

इन चुनावों के परिणाम के बाद कहा जाने लगा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव का यह सेमी फाइनल है। जो इन चुनावों में बढ़त बनाने में कामयाब रहेगा वह 2024 के लोकसभा चुनाव में भी सफलता हासिल कर सकता है। हालांकि, पूर्वोत्तर के राज्यों का मुद्दा अलग था और आगे भी रहेगा। क्योंकि, उत्तर भारत या दक्षिण के मुद्दे हर तरह से अलग होते है। इन तीनों राज्यों का चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा गया था। सबसे बड़ी बात यह है कि नरेंद्र मोदी के पीएम पद संभालने के बाद से इन राज्यों के विकास की गति तेज हुई है। अन्यथा इन राज्यों को पिछली केंद्र सरकारों ने लावारिस की तरह छोड़ दिया था। जिसका नतीजा यह हुआ कि यहां विकास नहीं हुआ और यहां के लोगों में भेदभाव की भावनाएं पैदा होने लगी थी, जिसे पीएम मोदी ने खत्म किया।

आज नरेंद्र मोदी की छवि हर राज्य में विकास पुरुष की बनी हुई है। पीएम मोदी की सबसे अच्छी बात यह है कि वे जनता से तुरंत घुलमिल जाते हैं। इतना ही नहीं वे बातों बातों में उनकी समस्या को भी जान लेते हैं। यही वजह है की जनता पीएम मोदी से भावनात्मक रूप से लगाव महसूस करती है। दूसरी बात यह है कि इन तीनों राज्यों में  बीजेपी के वोट शेयर में इजाफा हुआ है तो कांग्रेस के वोट शेयर कम होते गए। इन राज्यों में बीजेपी 2014 से पहले कहीं भी दिखाई नहीं देती थी ,लेकिन वर्तमान स्थित इसके उलट है। आज बंगाली, आदिवासी और ईसाई बहुल राज्यों में भी बीजेपी अपनी छाप छोड़ती नजर आ रही है।

इन चुनावों के नतीजों पर कांग्रेस का कहना है कि यह पूरे देश का रुझान नहीं हो सकता है। बीजेपी की यह जीत, प्रचार की जीत है। इतना नहीं कांग्रेस ने इन परिणामो को उम्मीद तोड़ने वाला बताया है। सही कहा जाए तो तीनों राज्यों के परिणाम कांग्रेस के लिए अच्छे साबित नहीं हुए। कांग्रेस का मानना था कि भारत जोड़ो यात्रा से पार्टी को लाभ मिलेगा। लेकिन ऐसा लग रहा है कि भारत जोड़ो यात्रा का इन राज्यों में कोई असर नहीं हुआ है। इससे साफ़ है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही रिजल्ट रह सकता है।  यह तो समय बताएगा।

बहरहाल, सबसे बड़ी बात यह है कि आगामी लोकसभा चुनाव में वे कौन कौन से मुद्दे होंगे जो बीजेपी के लिए गेमचेंजर साबित होंगे। हालांकि लोकसभा चुनाव से पहले कई राज्यों में विधानसभा  चुनाव भी होने है। ऐसे में कई मुद्दे है जो 2023 में विधानसभा के चुनावों में सफलता की इबादत लिखेंगे। वर्तमान में देश का सबसे बड़ा मुद्दा हिन्दू राष्ट्र का मुद्दा है। 23 प्रतिशत लोगों का मानना है कि देश में हिन्दू राष्ट्र का मुद्दा सबसे ऊपर है। यह वह मुद्दा है जो 2024 के लोकसभा चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकता है। वर्तमान में यह मुद्दा कई संत महात्माओं द्वारा उठाया जा रहा है। जिस पर कई पार्टियों के नेताओं ने आपत्ति भी जता चुके हैं।

हालांकि, इससे पहले राम मंदिर का मुद्दा इस देश के लिए बड़ा मुद्दा था, लेकिन आज यह कोई मुद्दा नहीं है, मगर इसके बारे में 20 प्रतिशत लोगों ने अपनी राय दी है। बताते चले कि 2024 में अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को खोलने का ऐलान अमित शाह कर चुके है। ऐसे में यह साफ है कि राम मंदिर से लोगों की आस्था जुडी हुई है। जिसके खुलने पर बीजेपी के लिए यह गेम चेंजर हो सकता है। दूसरी बात, भारत की दुनिया में बढ़ती साख को भी बीजेपी अपने पक्ष में भुनाने  की कोशिश कर सकती है। भारत जी 20 का अध्यक्षता कर रहा है। इस संबंध में 11 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने अपने विचार रखते हुए कहा कि जिस तरह से बीजेपी के शासन काल में भारत की दुनिया में तूती बोलती है उससे लोग बीजेपी के पक्ष में अपना समर्थन दे सकते हैं।

2024 में इन मुद्दों के अलावा समान नागरिक संहिता का भी मुद्दा छाया रहेगा। इस मुद्दे को लेकर कई बीजेपी शासित राज्यों ने बड़े कदम उठाएं है। जिससे यह कहा जा सकता है कि यह मुद्दा भी 2024 के लोकसभा चुनाव में चर्चा का विषय बन सकता है। सबसे बड़ी बात यह कि लोकसभा के चुनाव में विकास का मुद्दा भी हावी रहेगा। इस संबंध में 17 प्रतिशत लोगों ने इसे अहम माना है। वहीं ,72 प्रतिशत लोगों ने पीएम मोदी के कामकाज पर अपनीं प्रतिक्रिया देते हुए उनके कामों पर खुशी जाहिर की है।

हालांकि, कांग्रेस के लिए लोकसभा चुनाव में कौन सा मुद्दा हो सकता है। बड़ा सवाल है. क्योंकि छत्तीसगढ़ में हाल ही में खत्म हुए कांग्रेस अधिवेशन में शशि थरूर ने कहा था कि पार्टी को मुद्दे को लेकर स्पष्ट होना चाहिए। उन्होंने बिलिकिस बानो और गौ रक्षकों द्वारा मारपीट के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाने को कहा था। तो क्या कांग्रेस इन मुद्दों के आधार पर 2024 के लोकसभा चुनाव में उतरेगी।  यह बड़ा सवाल है क्योंकि अगर ऐसा करती  है तो क्या उसे फ़ायदा होगा? सबसे बड़ी बात यह है कि अगर कांग्रेस इन मुद्दों के साथ लोकसभा चुनाव में उतरती है तो उसे फायदा मिलने के बजाय ध्रुवीकरण की संभावना बढ़ गई जाएगी। जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है।

इसी तरह की बात, बाबा साहेब आंबेडकर के पोते ने कही है। प्रकाश आम्बेडकर ने हाल हिनमें कहा था कि बीजेपी को दोबारा सत्ता में आने से केवल मुस्लिम समुदाय ही रोक सकता है। ऐसे में यह कहा जा सकता है की आगामी लोकसभा का चुनाव हिन्दू मुस्लिम और विकास को लेकर लड़ा जाएगा। हालांकि स्थानीय मुद्दों को नकारा नहीं जा सकता है। तो देखना होगा कि आगामी लोकसभा चुनाव में कौन कौन से मुद्दे किस पार्टी के लिए गेमचेंजर साबित होंगे।

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