उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच चल रही असली और नकली शिवसेना की जंग के बीच एक अहम पड़ाव शिवाजी पार्क में दशहरा रैली को लेकर लड़ाई थी। शिवसेना के लिए खुशखबरी उन्हें जीत मिल गई है, शिवाजी पार्क में दशहरा मेला करने की 56 साल से चली आ रही शिवसेना की परंपरा को उद्धव गुट निभाएगा। और ये बड़ा झटका है शिंदे गुट के लिए। 2 अक्टूबर से लेकर 6 अक्टूबर तक रैली की इजाजत उद्धव गुट को मिली मिली है। हालांकि उन्हें बृहन्नमुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (बीएमसी) के नियमों को मानना होगा। कोर्ट ने ये भी कहा है कि इस दौरान क़ानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति न पैदा हो इसकी ज़िम्मेदारी भी पार्टी की होगी।
जिस मैदान ने 1966 में शिवसेना की पहली दशहरा रैली देखी। जहां गुजरे 56 साल से होता आ रहा है यह दशहरा मेला। जिस दशहरा रैली के मंच पर ही बालासाहेब ठाकरे ने अपने पोते आदित्य ठाकरे को राजनीति से परिचित कराया। जिस मैदान ने बालासाहेब ठाकरे को अंतिम विदाई दी, जहां पर रहा है उनका स्मारक। जिस मैदान से उद्धव ठाकरे ने सीएम की गद्दी संभाली। वो मैदान दो साल कोरोना काल में त्योहार पर तो सूना पड़ा रहा लेकिन अब जब मौका था फिर दशहरा रैली की परंपरा को आगे बढ़ाने का तो शिवाजी पार्क का ये मैदान बन गया जंग का मैदान जहां दो भाग में बटें शिवसेना के दोनों गुट कर रहे थे दशहरा रैली के लिए इस मैदान पर अपना-अपना दावा।
लेकिन आखिरकार उद्धव गुट को मैदान मिल ही गया। दरअसल बीएमसी ने गुरुवार को कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए दशहरा रैली की इजाजत दो गुटों में से किसी को नहीं दी थी। अदालत में शुक्रवार को अर्थात 23 सितंबर को दिन भर चले बहस में बीएमसी ने फिर से कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाया तो एकनाथ शिंदे गुट ने खुद को शिवसेना बताते हुए शिवाजी मैदान पर दावा किया। लेकिन अदालत ने जहां एक तरफ एकनाथ शिंदे गुट के विधायक सदा सरवणकर के अधिकार को खारिज कर दिया। वहीं बीएमसी के फैसले को भी गलत बताते हुए उद्धव गुट को यहाँ दशहरा रैली करने की इजाजजत दे दी है। शिवाजी पार्क पर से अपना अधिकार खारिज होते ही एकनाथ शिंदे गुट ने बालासाहेब के विचारों को आगे बढ़ाने का दावा करते हुए उद्धव ठाकरे गुट को विचारहीन बताया है। और बीकेसी मैदान में बड़ी रैली करने दावा किया। खबर यह भी है कि इस मुद्दे को लेकर शिंदे गुट सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलील पेश कर सकते है।
बता दें कि मुंबई के शिवाजी पार्क का ठाकरे परिवार से चार पीढ़ियों का नाता रहा है। पार्टी टूटने के बाद अब इसे लेकर शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट आपस में भिड़े हुए हैं। शिवसेना के बनने के बाद से ही शिवाजी पार्क में उनकी दशहरा की सभाएं होती रही हैं। पहले शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे और फिर उद्धव ठाकरे वहां शिवसेना प्रमुख के तौर पर भाषण देते थे। लेकिन अब पार्टी में बग़ावत के बाद एकनाथ शिंदे अपने समर्थकों के साथ अलग हो चुके हैं और ये अलग गुट के तौर पर उनका पहला दशहरा है।
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