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Saturday, September 21, 2024
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जब राहुल ने फाड़ा था अध्यादेश, अब सदस्यता गई!

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भारतीय संस्कृति में बड़े बुजुर्गों की बातों को माना जाता है। यहां बच्चों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि बड़ो का आदर करो, सम्मान करो उनके द्वारा कही गई बातों को आत्मसात करो, लेकिन ऐसा लगता है कि राहुल गांधी को भारत की संस्कृति के बारे में कोई नहीं समझते है। वे अपने घर परिवार की बातें करते हैं, संस्कृति परम्पराओं से दूर नजर आते हैं, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या, राहुल गांधी भारतीय रहन सहन को अच्छी तरह से जानते समझते हैं?

ये सवाल उठाने का मतलब यह है कि 2018 में राफेल मामले में राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने माफ़ी मांगी थी। उस समय कोर्ट ने कहा था कि आप जो भी बोले सोच समझकर बोले। मगर, राहुल गांधी ने खुद को शहजादा समझते है, जैसा कि बीजेपी कहती रही है। बावजूद इसके 2019 में मोदी सरनेम को लेकर गलत टिप्पणी की थी, शहजादा कहने का यही मतलब है।

अब जब कि राहुल गांधी को मोदी सरनेम पर दिए गए बयान पर सूरत की एक सेशन कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय द्वारा उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई। हालांकि, कोर्ट ने राहुल गांधी को 30 दिन का मौक़ा दिया है। ताकि वे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सके। अगर इस मामले में राहुल गांधी को हाई कोर्ट से भी स्टे नहीं मिलता है तो वे सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट राहुल गांधी को स्टे दे देता है तो उनकी सदस्यता बच जायेगी। वहीं, अगर शीर्ष कोर्ट भी राहुल गांधी को राहत नहीं देता है तो वे आठ साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी कर्नाटक के कोलार में एक रैली को सम्बोधित करते हुए कहा था कि चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है। चाहे वह ललित मोदी हो, नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी। इसके बाद सूरत के बीजेपी नेता नेता पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के बयान के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज किया था। उनका कहना था कि राहुल गांधी पूरे मोदी समाज को चोर कहा है। जो हमारे समाज की मानहानि है। अब इसी मामले में गुरुवार को सूरत की एक कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई। इस दौरान राहुल गांधी भी कोर्ट में मौजूद थे। उन्होंने यहां माफ़ी मांगने से इंकार कर दिया।

गौरतलब है कि, कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जिसका दोहरा चरित्र है। यही कांग्रेस कहती है कि हर मुस्लिम आतंकवादी नहीं हो सकता है, लेकिन, इसी पार्टी के नेता कहते हैं कि सभी मोदी सरनेम वाले चोर हैं। यह कांग्रेस का दोगलापन दिखाता है। अब यह कहना कि डरेंगे न हीं, झुकेंगे नहीं, यह कहना कहां का सही है कि हम डरेंगे नहीं। यह बयान एक तरह से कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती है। वैसे बार बार कांग्रेस कहती रही है कि भारत की संस्थाओं पर बीजेपी और आरएसएस ने कब्जा कर लिया है। सवाल यह कि क्या किसी को गाली देकर यह कहा जा सकता है की हम किसी डरने वाले नहीं हैं। कांग्रेस यही कर रही है, जनता को गुमराह करने की केवल कोशिश है।

राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द होने के बाद अभी उनके पास विकल्प बचा हुआ है। वे इस मामले में कोर्ट जा सकते हैं। अगर हाई कोर्ट भी स्टे नहीं देता है तो वे सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राहुल गांधी को स्टे दे देता है तो उनकी सदस्यता बच जायेगी।

इस संबंध में कहा जा रहा है कि 1951 के जनप्रतिनिधि कानून के तहत किसी विधायक या सांसद आपराधिक मामले में दोषी पाया गया है तो उसकी सदस्यता जा सकती है। इस कानून की धारा आठ में यह लिखा है कि अगर कोई विधायक या सांसद आपराधिक मामले में दोषी पाया गया है तो जिस दिन से उसे दोषी ठहराया जाएगा, उसी दिन से और अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते। इसी तरह यूपी के सपा नेता आजम खान की विधायक की सदस्यता चली गई। आजम को हेट स्पीच के मामले में दोषी ठहराया गया था।

बहरहाल, इस केस में एक बड़ा दिलचस्प पहलू भी है। दरअसल 2013 में जब राहुल गांधी ने  एक अध्यादेश को एक प्रेस कांग्रेस में फाड़ा था, आज उस बर्ताव पर राहुल गांधी पछता रहें होंगे। अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों? तो वकील लिली थॉमस द्वारा संविधान की धारा आठ (चार) को चुनौती दी थी। जिसमें यह कहा गया था कि विधायक या सांसद दोषी करार देने के बाद भी उसकी सदस्यता बरकरार रहेगी।

अगर अदालतों में चुनौती देते है इस पर रोक लग जाती है तो। 2012 में उनके द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सांसदों या विधायकों की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द होगी। इसके बाद तब की कांग्रेस समर्थित यूपीए सरकार ने इस फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश लाया था। जिसको राहुल गांधी सरेआम फाड़ दिया था। अगर वह अध्यादेश पारित हो गया होता तो राहुल गांधी की सदस्यता तीन माह तक बरक़रार रहती है। ऐसे में यह देखना होगा कि राहुल गांधी कोर्ट का रुख  करते  हैं कि नहीं। अगर कोर्ट जाते हैं तो उनका क्या होगा? क्या उनके पक्ष में फैसला आएगा ?

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