चाचा भतीजे की लड़ाई महाराष्ट्र या यूपी में ही नहीं है। अब यह लड़ाई छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिलेगी। जी हां !,बीजेपी ने जो गुरुवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए पहली उम्मीदवारों की सूची जारी की है। जिसमें पाटन सीट से विजय बघेल को छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के सामने उतारा है। भूपेश बघेल पाटन से विधायक हैं। वहीं, विजय बघेल दुर्ग से सांसद हैं। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं की लड़ाई बड़ी दिलचस्प होगी।
बताया जा रहा है कि 2000 में हुए मनमुटाव के बाद दोनों नेताओं की राह अलग हुई थी। दरअसल, विजय बघेल और भूपेश बघेल कांग्रेस में ही थे। लेकिन 2000 में बने नए नवेले भिलाई चरोदा निगम में टिकट को लेकर कलह हो गया। भूपेश बघेल ने निगम चुनाव के लिए अपने चाचा स्वर्गीय श्यामाचरण बघेल को टिकट दे दिया। इसके बाद भतीजा यानी विजय बघेल ने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए, जहां उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस नेताओं को पटखनी देकर जीत दर्ज की थी और वे पांच साल अध्यक्ष की कुर्सी भी संभाले थे।
भिलाई सीएम भूपेश बघेल का गृह क्षेत्र है। विजय बघेल 2003 में भी पाटन से भूपेश बघेल के सामने उतरे थे। लेकिन वे अपने चाचा से हार गए थे। तब उन्होंने एनसीपी के टिकट से चुनाव लड़ा था। इसके बाद विजय बघेल ने 2008 के विधानसभा में भूपेश बघेल के सामने फिर ताल ठोंके। इस बार बाजी विजय बघेल के हाथ लगी यानी वे इस सीट पर जीत दर्ज की। इस बार वे बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। 2013 में विजय बघेल फिर भूपेश बघेल के सामने उतरे, लेकिन वे इस बार हार गए। 2018 में पाटन सीट से बीजेपी नेता मोतीराम साहू को उतारा गया था। लेकिन वे हार गए। अब एक बार फिर 2023 में चाचा भतीजा आमने सामने हैं। चाचा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हैं तो, भतीजा सांसद है।
बताया जा रहा है कि 23 साल में भूपेश बघेल ने एक बार भी विजय बघेल पर राजनीतिक हमला नहीं किया। लेकिन बीजेपी द्बारा विजय बघेल को चुनाव पत्र समिति का संयोजक बनाकर राज्य का बड़ा चेहरा बनाया है। इसके बाद से भूपेश बघेल विजय बघेल पर हमलावर हैं। वहीं, ऐसी भी खबरें है कि भूपेश बघेल पाटन के अलावा दूसरे सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं। माना जा रहा है कि वे खैरागढ़ या वैशालीनगर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। कांग्रेस भूपेश बघेल को ही प्रमोट करने वाली है। वे कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं।
कहा जा रहा है कि बीजेपी भूपेश बघेल को घेरने का पूरा प्रयास करेगी। पार्टी जनता में यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि अगर विजय बघेल भूपेश बघेल को हरा देते हैं तो वे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भी हो सकते हैं।बताया जा रहा है कि बीजेपी को इससे दोहरा फायदा होगा। पहला यह कि वह अपने बिखरे मतदाताओं को एकजुट करने में कामयाब होगी। दूसरा छत्तीसगढ़ के लोगों में गहराई से उतर सकेगी। वहीं, कांग्रेस में जारी गुटबाजी और हाल ही अरविंद नेताम के पार्टी से अलग होने का लाभ भी मिल सकता है।
अरविंद नेताम ने कांग्रेस से अलग होकर हमर राज पार्टी बनाने का ऐलान किया है। यानी बीजेपी कांग्रेस को इस बार कड़ी टक्कर देने के मूड है। ऐसे में क्या भूपेश बघेल अपनी कुर्सी बचा पाएंगे ? यह तो आने वाला समय ही बताएगा ,फिलहाल तो कांग्रेस की टेंशन बड़ी हुई है।