25 C
Mumbai
Friday, November 29, 2024
होमब्लॉगजो खुद बोझ हो, राहुल देश का क्या बोझ उठाएंगे?  

जो खुद बोझ हो, राहुल देश का क्या बोझ उठाएंगे?  

क्या राहुल गांधी अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से निभाते हैं। राहुल गांधी कहीं से अपनी जिम्मेदारी नहीं  निभा रहे हैं। मुंह में सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए राहुल गांधी में इतना अहम है कि वे दूसरों की भी बात नहीं सुनने हैं।  

Google News Follow

Related

राहुल गांधी की सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो देखी होगी, जिसमें वे कुली बने हुए है। ये वे राहुल गांधी हैं जो न ठीक से कांग्रेस पार्टी की जिम्मेदारी निभा सकते हैं और न ही सांसद के रूप में अपने संसदीय क्षेत्र या विपक्ष का प्रतिनिधित्व कर पा रहे हैं। राहुल गांधी को ट्रक ड्राइवर, दो पहिया वाहन बनाने वाले और खेतों में जाकर किसानों के साथ फोटो खींचाना बहुत पसंद है। राहुल गांधी के अंदर थोड़ी सी भी गंभीरता नहीं है। लेकिन, कांग्रेस के नेता उन्हें गंभीर नेता बताने और बनाने में लगे हुए।

ऐसे में यह सवाल है कि क्या राहुल गांधी अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से निभाते हैं। मुझे तो आज तक नहीं लगा कि पचास साल के राहुल गांधी कहीं से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। मुंह में सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए राहुल गांधी में इतना अहम है कि वे दूसरों की भी बात नहीं सुनने हैं। वे खुद को राजा महाराजा से कम नहीं समझते है।  क्या वे एक जिम्मेदार सांसद और देश हित में काम करने वाले व्यक्ति हैं? क्या वे सांसद के रूप में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर पा रहे हैं, या नहीं ?

गुरुवार को राहुल गांधी दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर कुलियों के कपडे में नज़र आये। यहां राहुल गांधी सुबह ही पहुंचे थे और कुलियों के लाल शर्ट और उनका बिल्ला भी अपनी बांह पर बांध रखा था। सबसे बड़ी बात यह रही कि इस दौरान राहुल गांधी अपने सिर पर जो टॉली बैग उठा रखा था। उसे खींचकर भी ले जाया जा सकता है। उसे माथे पर रखने की जरुरत नहीं होती है। एक सामान्य व्यक्ति को भी इस बात की जानकारी होती है। लेकिन राहुल गांधी  यह सामान्य सी बात भी नहीं जानते हैं या उनके जो सलाहकार हैं शायद उन्हें इस बात का ज्ञान  न हो ?

सवाल यही है कि राहुल गांधी के जो सलाहकार है वे क्या सोचकर विषय चुनते हैं ? यह समझ परे है। उनके आगे पीछे चलने वाले “चमचों” को इतना भी ज्ञान नहीं होता है कि राहुल गांधी से जो चीज कराया जाना है, उसका जनता पर क्या असर होगा ? क्या राहुल गांधी को मुर्ख साबित करने के लिए उनके सलाहकार उटपटांग काम कराते रहते हैं। आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर राहुल गांधी कुलियों का कपड़ा या बिल्ला नहीं बांधते तो भी चलता, लेकिन वे यहां आध एक घंटे उनके साथ बात करते, उनकी समस्याएं सुनते। उनकी समस्याओं को निपटाने का आश्वासन देते। कुलियों के लिए कोई योजना लाने की बात करते, जो यूनिक हो, लेकिन राहुल गांधी ने ऐसा नहीं किया। क्या राहुल गांधी द्वारा चर्चा के लिए यह सब किया गया ?

ऐसा लगता है कि यहां वे सिर्फ कुलियों के साथ कुलियों की ड्रेस में फोटो खिंचवाने गए थे। राहुल गांधी कुलियों का मजाक बनाने गए थे। क्या इसे “भारत जोड़ो दो” कहा जा सकता है। क्या फोटो खिंचवा लेने से कुलियों के पसीने को कांग्रेस और राहुल गांधी ने पोंछ दिया। नहीं, उनके माथे पर केवल बल लाएं, चिंताएं लाये राहुल गांधी ने। कांग्रेस या गांधी परिवार जिस गरीबी की बात करते है, उसका वे कभी भी निदान नहीं कर पाएंगे। इसकी वजह यह है कि कांग्रेस और गांधी परिवार केवल सत्ता का सुख भोगना चाहता है। उसे देश से कुछ भी लेना देना नहीं है। यह इस देश का इतिहास बताता है।

राहुल गांधी को  “महाझूठ” का तगमा दिया जाना चाहिए। राहुल गांधी देश में ही नहीं विदेशों में भी यह कहते हैं कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जाता है। संसद की टीवी पर उनके फुटेज को कम दिखाया जाता है। इसी साल बजट सत्र को हम यहां कोट नहीं कर रहे है। हम केवल दो सत्र की बात करेंगे। एक मानसून सत्र और दूसरा विशेष सत्र के बारे में। इन दोनों सत्रों में राहुल गांधी  संसद में बयान देते और चले जाते हैं। सत्ता पक्ष की वे बातें नहीं सुनते हैं ? मानसून सत्र में जब विपक्ष ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया तो राहुल गांधी ने कहा था कि मणिपुर में भारत माता की हत्या हुई है। उन्होंने इस दौरान ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल किया था। इसके बाद राहुल गांधी राजस्थान के लिए निकल गए थे।

राहुल गांधी खुद को देश का महाराजा से कम नहीं समझते हैं। अगर उनके पास बहुमत होती तो न जाने राहुल गांधी क्या करते यह भगवान ही जाने। उनके सवालों का सत्ता पक्ष ने जवाब दिया भी लेकिन उन्होंने उसे नहीं सुना। राहुल गांधी इस दौरान संसद में मौजूद ही नहीं थे। मानसून सत्र के अंतिम दिन राहुल गांधी तब आये जब पीएम मोदी का भाषण एक घंटा हो चुका था। इससे पहले वे आये थे और चले गए थे। इसके बाद जब वे आये तो फिर चले गए और अपने साथ  विपक्ष के नेताओं को भी ले गए। सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी एक विपक्ष के नेता के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

कहा जाता है कि विपक्ष के नेता सत्ता पक्ष के हर एक कारगुजारियों पर नजर रखता है। ताकि उसके नेता कब गलती करें और विपक्ष उसे लपक ले और उसे मुद्दा बना दे, लेकिन जब विपक्ष के नेता सदन में सत्ता पक्ष के नेताओं की बात ही नहीं सुनेंगे तो कैसे मुद्दा बनाएंगे। वर्तमान विपक्ष यही कर रहा है। इसलिए विपक्ष के पास सत्ता पक्ष के खिलाफ मुद्दा बनाने लायक कोई मुद्दा ही नहीं होता है। इसलिए आज का विपक्ष कमजोर और बेचारा बना हुआ है।

वर्तमान का विपक्ष कहता है कि सत्ता पक्ष उन्हें कमजोर कर रहा है। लेकिन, ऐसा नहीं है आज विपक्ष के नेता ही जनता के हित की बात नहीं करते हैं। देश की आवाज नहीं बनना चाहते है। केवल यह कह देने से कि हम जनता की आवाज है, यह भाषणों में सही है, लेकिन हकीकत से कोसो दूर है। विशेष सत्र के दौरान भी राहुल गांधी ने भाषण दे कर चले गए, उन्होंने अमित शाह की बात नहीं सुनी। ऐसे कई मौकों पर राहुल गांधी देश के बाहर चले गए। इसलिए राहुल गांधी और कांग्रेस पूरी तरह से जनता से कटे हुए हैं। आज पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं है। शायद आने वाले समय में  कांग्रेस का इससे भी बुरा हाल हो ? कहा नहीं जा सकता है। तो सवाल यही कि क्या राहुल गांधी एक जिम्मेदार सांसद के रूप में कभी दिखाई दिए ? अभी तक तो ऐसा दिखाई नहीं दिए।

बहरहाल, अब बात राहुल गांधी के बहरुपियापन की, जो भेष बदलते हैं, लेकिन मन नहीं बदलते हैं। राहुल गांधी इसी साल मई माह में अंबाला से चंडीगढ़ का सफर ट्रक से तय किया था। उस समय उन्होंने ट्रक की कमाई और अन्य बातों को  जानने की कोशिश की थी। इसके बाद जून माह में उन्होंने अमेरिका ट्रक ड्राइवर के साथ 150 किलोमीटर की दूरी तय की थी। यहां भी  उन्होंने अमेरिकी ट्रक ड्राइवर से उसकी कमाई के बारे में बातचीत की थी। राहुल गांधी के इस तरह से लोगों से मिलने को  भारत जोड़ो दो कहा गया। जून माह के अंतिम सप्ताह में राहुल गांधी एक बार फिर दिल्ली के करोलबाग में स्थित एक मोटरसाइकिल  मरम्मत करने वाले दुकानदार  के  पास पहुंचे थे। जहां उन्होंने हाथों में पेशकश और अन्य औजार लेकर वाहन की मरम्मत करते हुए देखे गए।

इसके बाद, राहुल गांधी का इसी साल जुलाई माह में एक और फोटो सेशन देखने को मिला।   राहुल गांधी ने हरियाणा के सोनीपत जिले के एक गांव में धन रोपाई कर रहे किसानों के साथ फोटो खिचवाने के लिए खेत में पहुंच गए। उस समय राहुल गांधी अपने लाव लश्कर के साथ हिमाचल जा रहे थे। ये वे दिन जो राहुल गांधी के बहरूपियापन के गवाह है। राहुल गांधी ऐसे नेता हैं जो मुद्दा बनाते नहीं है बल्कि मुद्दा बन जाते हैं। जो नेता खुद मुद्दा बन जाए, क्या वह देश के लिए काम करने लायक होगा ? “कुली” फिल्म का एक गाना है “सारी दुनिया का हम बोझ उठाते है…. लेकिन राहुल गांधी खुद कांग्रेस के लिए बोझ बने हुए हैं।

ये भी पढ़ें 

 

​​गृहमंत्री अमित शाह ने सहकुटुंब ‘वर्षा’ आवास पर गणराया का किये दर्शन !

वाराणसी स्टेडियम: मोदी ने किया का शिलान्यास, क्रिकेट के दिग्गज हुए साक्षी!

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,290फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
201,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें