भारत और सीओपी-28

सीओपी का अर्थ है, कॉन्फ्रेंस ऑफ़ द पार्टीज़, जिसे संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के रूप में भी जाना जाता है।

भारत और सीओपी-28

प्रशांत कारुलकर

सीओपी का अर्थ है, कॉन्फ्रेंस ऑफ़ द पार्टीज़, जिसे संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी सीओपी) के रूप में भी जाना जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) के अंतर्गत होने वाला वार्षिक सम्मेलन है। इसका आयोजन यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के तहत किया जाता है। सम्मेलन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों को आगे बढ़ाना है। इस सम्मेलन में दुनिया भर के देशों के प्रतिनिधि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करते हैं और सहयोग करते हैं। सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जिनमें ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य निर्धारित करना और विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है।

सीओपी जलवायु सम्मेलन एक महत्वपूर्ण वैश्विक मंच है जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने और एक स्थायी भविष्य सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना है। सीओपी 28, संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का 28 वां सत्र है, जो 30 नवंबर से 12 दिसंबर 2023 तक संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में आयोजित किया गया था। सम्मेलन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों को आगे बढ़ाना है। यह सम्मेलन महत्वपूर्ण है क्योंकि जलवायु परिवर्तन मानवता के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है।

सीओपी-28, यूएई 2023 में, भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया और एक वैश्विक नेता के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया।भारत ने वार्ता के दौरान कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं, जिनमें शामिल हैं:

विकासशील देशों का नेता: भारत ने विकासशील देशों के समूह का नेतृत्व किया और विकसित देशों से अधिक से अधिक धन और प्रौद्योगिकी की मांग की। भारत ने यह तर्क दिया कि विकसित देशों ने जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक योगदान दिया है और इसलिए उन्हें जलवायु कार्रवाई के लिए अधिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

नवीकरणीय ऊर्जा का चैंपियन: भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई पहलों की घोषणा की। भारत ने 2030 तक अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावॉट तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

अनुकूलन के लिए समर्थन: भारत ने विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने में मदद करने के लिए अपना समर्थन बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। भारत ने जलवायु अनुकूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय धन में वृद्धि का आह्वान किया।

भारत के लक्ष्य

भारत ने COP 28 में कई लक्ष्यों को लेकर आया था, जिनमें शामिल हैं:

1. 2030 तक अपनी स्वच्छ ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक बढ़ाना
2030 तक अपनी जीवाश्म ईंधन निर्भरता को 40% तक कम करना।

2. 2030 तक अपनी वन्य क्षेत्रों को 33% तक बढ़ाना।

3. भारत ने यह भी वादा किया कि वह 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करेगा।

कुल मिलाकर, भारत ने सीओपी-28, यूएई 2023 में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया और वैश्विक नेता के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया। भारत के प्रयासों से विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिलने की संभावना है।

 

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